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Utrakhand Govt. : उत्तराखंड में हुआ मंत्रिमंडल का विस्तार, पहली ही बैठक में चिंता चुनाव की

भाजपा के नियुक्त पर्यवेक्षक और केंद्रीय नेतृत्व ने एक-एक चीज पर बारीकी से विचार विमर्श किया है। उसके बाद पार्टी के कदम की जानकारी लोगों तक आ रही है। शायद यही कारण है कि मंत्रिमंडल के गठन में राजनीतिक अनुभव के अलावा क्षेत्रीय व जातीय संतुलन बनाने की कोशिश की गई है।

देहरादून। दो दिन पहले बनी सरकार का आज विस्तार हो गया है। उत्तराखंड (Utrakkhand) के लिए शुक्रवार को ये सबसे जरूरी खबर है। सरकार जनता के हितों और उनकी सुरक्षा को लेकर किस प्रकार सचेत है, वह पहले ही दिन के कैबिनेट मीटिंग में दिख गया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री (CM of Utrakhand) तीरथ सिंह रावत (Triath Singh Rawat) ने कैबिनेट बैठक में कोरोना नियमों के उल्लंघन करने के संबंध में दर्ज़ सभी मामलों को वापस लेने का फैसला किया।

इससे पहले राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में देहरादून में कैबिनेट मंत्रिमंडल विस्तार में कई नेता शामिल हुए। सतपाल महाराज, बंशीधर भगत, हरक सिंह रावत, बिशन सिंह चुफाल, यशपाल आर्य, अरविंद पांडे, गणेश जोशी, सुबोध उनियाल इन सभी ने कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) के रूप में शपथ ग्रहण की।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद कहा किअ भी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है। जल्द ही हम विभागों का भी बंटवारा कर देंगे। 4 साल में हमारी सरकार ने जो काम किया है उसे आगे बढ़ाते हुए जनता के बीच में जाएंगे। 2022 में हम विधानसभा चुनाव को दो तिहाई बहुमत से जीतेंगे।

दरअसल, इस मंत्रिमंडल विस्तार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की पूरी तरह से झलक मिलती है। भाजपा (BJP) को सरकार से अधिक चुनाव की चिंता है, यदि यह कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा। बता दें कि राजभवन में आयोजित समारोह में 11 मंत्रियों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। मंत्रिमंडल में चार नए चेहरे शामिल किए गए हैं। पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सिंह रावत के मंत्रिमंडल के पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक (Madan Koushik) को छोड़कर बाकी सभी मंत्रियों को तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) की टीम में जगह मिली है। यानी पार्टी किसी भी स्तर पर नाराजगी मोल लेना नहीं चाहती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के नियुक्त पर्यवेक्षक और केंद्रीय नेतृत्व ने एक-एक चीज पर बारीकी से विचार विमर्श किया है। उसके बाद पार्टी के कदम की जानकारी लोगों तक आ रही है। शायद यही कारण है कि मंत्रिमंडल के गठन में राजनीतिक अनुभव के अलावा क्षेत्रीय व जातीय संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। नए मंत्रिमंडल में गढ़वाल मंडल से चार कैबिनेट और दो राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने शपथ ली है।  कैबिनेट में चार मंत्रियों के साथ पौड़ी गढ़वाल का दबदबा दिखा। कुमाऊं मंडल से भी चार
कैबिनेट मंत्री और एक राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है।

मंत्रिमंडल विस्तार के बाद जिस प्रकार से कैबिनेट की मीटिंग हुई और उसमें कोरोना के मामले को लेकर निर्णय लिया गया, वह पूरी तरह से यह बताने के लिए पर्याप्त है कि उत्तराखंड सरकार जनता को किसी भी सूरत में साधना चाहती है।

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