नई दिल्ली। यदि आप कुछ अलग देखने, सुनने, पहनने और खाने के शौकीन हैं, तो आपके लिए अभी दिल्ली हाट में सुनहरा मौका है। यहां आयोजित ट्राइब्स इंडिया आदि महोत्सव जीआई उत्पादों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहा है। इस समय चल रहे ट्राइब्स इंडिया आदि महोत्सव को विशेष महत्व दिया गया है, यह 50 जनजातीय जीआई उत्पादों के लिए समर्पित स्थान है।
असल में, इन उत्पादों को इस महोत्सव में विशेष स्थान मिला है और सभी आगंतुक इस स्टाल पर बहुत रुचि के साथ आते हैं। आदि महोत्सव और विशेष रूप से जीआई उत्पाद स्टाल पर आने वाले एक प्रमुख आगंतुक भास्कर खुल्बे थे, वह प्रधानमंत्री के सलाहकार हैं। उन्होंने रविवार 7 फरवरी, 2021 को आदि महोत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। श्री भास्कर ने आदिवासी हस्तशिल्प और अन्य उत्पादों के स्टॉलों का भ्रमण किया तथा वन धन डेमो सेंटर भी देखा। उन्होंने 50 आदिवासी जीआई उत्पादों पर फोकस करने के लिए मंत्रालय के कार्यों पर प्रशंसा व्यक्त की और कहा कि, “मुझे यह जानकार बेहद खुशी हो रही है कि ट्राइफेड ने जीआई टैग किए गए उत्पादों को बढ़ावा देने और इन्हें एक ब्रांड में बदलने का कदम सक्रिय रूप से उठाया है। श्री भास्कर ने कहा कि, इन प्रयासों से आदिवासी कारीगरों को सशक्त बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि, आदि महोत्सव देश भर के सभी आदिवासी कारीगरों को एक ही स्थान पर लाने का एक शानदार तरीका है।”
बता दें कि ट्राइब्स इंडिया के आदि महोत्सव में जीआई उत्पादों के स्टॉल पर राजस्थान की नीली मिट्टी के बर्तन, कोटा दरिया कपड़े, मध्य प्रदेश के चंदेरी और माहेश्वरी रेशम, बाघ प्रिंट, ओडिशा के पट्टचित्र, कर्नाटक के खास बर्तन, उत्तर प्रदेश से बनारसी रेशम, पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग चाय, हिमाचल प्रदेश से काला जीरा, पूर्वोत्तर की बेहद तीखी नागा मिर्च और बड़ी इलायची जैसी प्रसिद्ध तथा उत्तम वस्तुएं उपलब्ध हैं।
जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैगिंग ने तब से अधिक महत्व प्राप्त कर लिया है, जबसे सरकार का ध्यान वोकल फॉर लोकल की ओर स्थानांतरित हुआ है और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हो रहा है। जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत ट्राइफेड आदिवासी उत्पादों के साथ जीआई टैग उत्पादों को बढ़ावा देने और उन्हें एक ब्रांड में बदलने की सुविधा प्रदान कर रहा है, जो आदिवासी कारीगरों के सशक्तीकरण का प्रतीक है। ये पहल सदियों पुरानी जनजातीय परंपराओं और तरीकों को पहचानने तथा बढ़ावा देने में मदद करेगी जो शहरीकरण एवं औद्योगिकीकरण के कारण लुप्त हो जाने के खतरे में हैं।
भौगोलिक संकेत को विश्व व्यापार संगठन द्वारा मान्यता दी गई है और इसका उपयोग उन भौगोलिक क्षेत्र को निरूपित करने के लिए किया जाता है, जहां से एक उत्पाद उत्पन्न होता है, एक कृषि उत्पाद की उपज होती है, जहां से कोई प्राकृतिक उत्पाद निर्मित हो साथ ही यह उन गुणों या विशेषताओं का आश्वासन भी देता है जो उस विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के लिए अद्वितीय हैं। भारत इस सम्मेलन के लिए एक हस्ताक्षरकर्ता बन चुका है, जब विश्व व्यापार संगठन के सदस्य के रूप में, इसने भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण अधिनियम), 1999 को अधिनियमित किया, जो 15 सितंबर, 2003 से लागू हुआ।
आदि महोत्सव का आयोजन ट्राइफेड का एक विशेष प्रयास है, जिससे देश भर में जनजातीय समुदायों के समृद्ध और विविध शिल्प, संस्कृति तथा व्यंजनों से लोगों को परिचित कराया जाए।
इन जीआई उत्पादों के अलावा यहां आने वाले सभी लोग जनजातीय आदिवासी हस्तशिल्प और उत्पादों तथा जैविक वस्तुओं को प्राप्त कर सकते हैं – यहां पर प्राकृतिक और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले आदिवासी उत्पाद जैसे कि जैविक हल्दी, सूखा आंवला, जंगली शहद, काली मिर्च, रागी, त्रिफला और दाल के मिश्रण जैसे मूंग की दाल, उड़द की दाल तथा सफेद फलियां मिल रहे हैं। इसके अतिरिक्त खूबसूरत डालिया से लेकर अन्य कलाकृतियाँ जैसे वारली स्टाइल पेंटिंग्स या पटचित्र भी यहां उपलब्ध हैं। साथ ही पूर्वोत्तर के वांचो और कोन्याक जनजातियों के शानदार और जीवंत वस्त्रों और सिल्क्स हार की डोकरा शैली में दस्तकारी की गई ज्वैलरी, रंग-बिरंगी कठपुतलियों और बच्चों के खिलौनों से लेकर पारंपरिक बुनाई जैसे डोंगरिया शॉल और बोडो बुनाई, बस्तर से लोहे के शिल्प से लेकर बांस के शिल्प और बेंत के फर्नीचर तक यहां उपलब्ध हैं। यहां आने वाले मेहमान आदि महोत्सव में आदिवासी कला प्रथाओं और जनजातीय व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं।
आदिवासी शिल्प, संस्कृति और वाणिज्य का उत्सव आदि महोत्सव दिल्ली हाट आई एन ए नई दिल्ली में 15 फरवरी, 2020 तक सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक आयोजित है।