Indo-US Relation : विदेश मंत्री जयशंकर के अमेरिकी यात्रा के क्या हैं संदेश ?

विदेश विभाग के अनुसार अमेरिकी और भारतीय विदेश मंत्रियों के बीच कोविड-19 राहत प्रयासों, ‘क्वाड’ के जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग मजबूत करने की कोशिशों और जलवायु परिवर्तन से निपटने की साझा प्रतिबद्धता तथा संयुक्त सुरक्षा परिषद समेत अन्य मंचों पर बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने समेत कई मुद्दों पर चर्चा की।

वाशिंगटन। अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं। वे कई बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं और कूटनीतिक संबंध को और मजबूत कर रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन से भी बेहतर रिस्पांस मिल रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ उसकी बैठक सार्थक रही और इस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों, कोविड-19 राहत प्रयासों, भारत-चीन सीमा स्थिति और अफगानिस्तान पर चर्चा की तथा साझा चिंताओं के क्षेत्रों पर साथ मिलकर काम करने का प्रण किया।

बता दें कि जयशंकर अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं। वह 20 जनवरी को जो बाइडन के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद देश की यात्रा पर आए भारत के पहले मंत्री हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि ब्लिंकन ने विदेश मंत्रालय में जयशंकर का स्वागत किया और अमेरिका-भारत व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने की अमेरिकी प्रशासन की प्रतिबद्धता को दोहराया। ब्लिंकन ने कहा कि डॉ. एस जयंशकर के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा और अमेरिका के कोविड-19 राहत प्रयासों समेत आर्थिक प्राथमिकताओं, भारत-चीन सीमा स्थिति और अफगानिस्तान के लिए हमारे सहयोग पर आज रचनात्मक बातचीत की।

वहीं, जयशंकर ने ट्वीट किया कि उन्होंने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के साथ ही द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न आयामों पर ब्लिंकन के साथ ‘‘सार्थक चर्चा’’ की। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत और क्वाड, अफगानिस्तान, म्यांमा, यूएनएससी मामलों और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर भी बातचीत की। भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत-अमेरिका के बीच टीकों की साझेदारी पर भी चर्चा की जिसका मकसद टीकों की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इस वक्त अमेरिका द्वारा जताई मजबूत एकजुटता की सराहना करते हैं। आज की बातचीत ने हमारी रणनीतिक साझेदारी और सहयोग के हमारे एजेंडे को और मजबूत किया है।

भारतीय पत्रकारों के एक समूह के सवाल के जवाब में जयशंकर ने इसका जिक्र नहीं किया कि क्या खासतौर से चीन पर चर्चा की गई। इस वार्ता में उन्होंने कहा कि हमने पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर चर्चा की। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा की गई। उल्लेखनीय है कि भारत, अमेरिका और दुनिया के कई अन्य देश चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी की पृष्ठभूमि में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त और स्वतंत्र बनाने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं। चीन की सेना की नजर भी सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र पर है।

अमेरिका को भारत का रणनीतिक साझेदार बताते हुए जयशंकर ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि दोनों देशों ने अपनी चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी भी बैठक में रूस से अरबों डॉलर की एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने की भारत की योजना के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। दक्षिण और मध्य एशिया के लिए कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्पसन ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर घटनाक्रमों पर ही चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा कि हम स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से हल हो जाएगा।