NEET परीक्षा को क्यों रद्द नहीं करना चाहती सरकार

 

नई दिल्ली। केंद्र सरकार नहीं चाहती है कि मेडिकल में दाखिले के लिए हुई नीट की परीक्षा रद्द की जाए। सरकार ने शुक्रवार, पांच जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नीट यूजी की परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा। उसका कहना है कि इससे यह परीक्षा देने वाले लाखों ईमानदार छात्र गंभीर खतरे में आ जाएंगे। केंद्र ने सर्वोच्च अदालत में दाखिल हलफनामे में कहा कि परीक्षा में हुई कथित अनियमितताओं या गड़बड़ियों की पूरी जांच करने के लिए सीबीआई से कहा है। सुप्रीम कोर्ट में आठ जुलाई को इस मामले पर सुनवाई होनी है और उससे पहले छह जुलाई से दाखिले के लिए काउंसिलिंग शुरू होने वाली है।

गौरतलब है कि नीट यूजी की परीक्षा के नतीजे पांच जून को आए थे। इसके बाद पेपर लीक और गड़बड़ियों के आरोप लगे। 1,563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने पर भी विवाद हुआ, जिसके बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी, एनटीए ने इन उम्मीदवारों की परीक्षा रद्द कर दी और फिर से परीक्षा कराई गई। नीट यूजी की गड़बड़ियों का खुलासा होने के बाद देश में नौ दिन में तीन बड़ी परीक्षाएं- एनसीईटी, यूजीसी नेट और सीएसआईआर यूजीसी नेट कैंसिल की गईं।

बहरहाल, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा है- राष्ट्रीय स्तर पर गड़बड़ी होने या गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी सबूत के अभाव में, पूरी परीक्षा और पहले ही घोषित परिणामों को रद्द करना उचित नहीं होगा। बड़ी संख्या में ऐसे भी छात्र हैं, जिन्होंने बिना गड़बड़ी किए परीक्षा दी है। उनके प्रतिस्पर्धा के अधिकार और हितों को खतरे में नहीं डाला जा सकता। एनटीए ने अदालत से कहा है- नीट यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करना व्यापक जनहित के खिलाफ होगा। पेपर लीक की कथित घटनाओं का परीक्षा के ऑपरेशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस एग्जाम को पूरी निष्पक्षता और गोपनीयता के साथ कराया गया है।

नीट पेपर लीक, परीक्षा में हुईं गड़बड़ियों और ग्रेस मार्क्स के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई सभी 26 याचिकाओं पर आठ जुलाई को सुनवाई होगी। इसमें से 22 याचिकाएं छात्रों, शिक्षकों, कोचिंग इंस्टीट्यूट्स और वेलफेयर एसोशिएशन की तरफ से दायर की गई हैं। वहीं चार याचिकाएं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तरफ से दायर हुई हैं। इसके अलावा, नीट की परीक्षा फिर से कराने के खिलाफ गुजरात के 56 छात्रों ने चार जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। उनका कहना है कि ज्यादातर ने दो साल की कड़ी मेहनत और सौ फीसदी लगन के साथ परीक्षा दी थी। ऐसे में दोबारा नीट परीक्षा कराना छात्रों के हित में नहीं है।