नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम 7 अप्रैल 1985 को अस्तित्व में आया था। भाजपा ने 2007 से ही नगर निगम पर अपनी पकड़ बना रखी है। इस दौरान केंद्र से लेकर दिल्ली तक में कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस ने अपनी महत्त्वाकांक्षी योजना मनरेगा की लोकप्रियता के सहारे केंद्र में 2009 में वापसी की, तो दिल्ली में गरीबों के लिए बेहतर काम करने वाली शीला दीक्षित अपनी लोकप्रियता के सहारे वापसी करने में कामयाब रहीं। लेकिन उनके दिल्ली में मुख्यमंत्री रहने के दौरान दिल्ली नगर निगम के दो बार (2007 और 2012) चुनाव हुए और दोनों ही बार भाजपा सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही।
आरोप लगाया जाता है कि नगर निगम पर अपनी पकड़ बनाने में असफल रहीं शीला दीक्षित ने 2011 में दिल्ली नगर निगम को तीन टुकड़ों (पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम) में बांट दिया था। उनका सोचना था कि इससे भाजपा की ताकत बंट जायेगी और कुछ जगहों पर कांग्रेस भी सत्ता में आने में कामयाब रहेगी। लेकिन शीला दीक्षित का यह राजनीतिक दांव बुरी तरह असफल रहा और भाजपा दोबारा 2012 में तीनों निगमों की सत्ता में काबिज होने में सफल हो गई।
चुनाव में भाजपा के सामने दिल्ली नगर निगम में 15 साल से चली आ रही सत्ता को बचाने की चुनौती होगी तो अरविंद केजरीवाल स्थानीय प्रशासन में भी अपनी सरकार बनाकर दिल्ली में अपनी पकड़ को और ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करेंगे। दिल्ली नगर निगम चुनाव की घोषणा होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि 4 दिसम्बर को इस बार दिल्ली की जनता दिल्ली की साफ़-सफ़ाई के लिए वोट देगी। दिल्ली को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए वोट देगी। इस बार दिल्लीवासी नगर निगम में भी AAP को चुनेंगे।
पिछले 15 साल में BJP ने पूरी दिल्ली में कूड़ा फैला दिया है, कूड़े के पहाड़ बना दिए हैं।
4 दिसम्बर को इस बार दिल्ली की जनता दिल्ली की साफ़-सफ़ाई के लिए वोट देगी। दिल्ली को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए वोट देगी।
इस बार दिल्लीवासी नगर निगम में भी AAP को चुनेंगे। pic.twitter.com/uAwToau6e2
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 4, 2022
2012-14 में दिल्ली की राजनीति में अरविंद केजरीवाल का उदय हो गया। वे कांग्रेस के समर्थन से 2013 में पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए। उनके इस्तीफे के बाद 2015 में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी ने एतिहासिक जनमत हासिल करते हुए दिल्ली की 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की। इसके बाद 2017 में दिल्ली नगर निगम के चुनाव हुए। प्रचंड लोकप्रियता के रथ पर सवार आम आदमी पार्टी को भरोसा था कि वह भाजपा को निगम से हटाने में कामयाब रहेगी। लेकिन केजरीवाल का यह सपना साकार नहीं हो पाया। भाजपा ने 2017 के नगर निगम चुनाव में 181 सीटें जीतकर दिल्ली पर अपना दबदबा बरकरार रखा।