Home मनोरंजन Zakir Husain Happy Birthday : जाकिर हुसैन, जिनकी थाप पर दुनिया झूमे

Zakir Husain Happy Birthday : जाकिर हुसैन, जिनकी थाप पर दुनिया झूमे

जाकिर हुसैन, महज तीन साल के थे जब उनके पिता उस्ताद अल्लारक्खा खान ने उन्हें पखावज सिखाना शुरू कर दिया था। परिवार में जो विलक्षण गुण मिला, उसकी ही कहानी है कि जाकिर हुसैन अपनी उंगलियों से तबले पर थाप छोड़ते हैं।

आपने जरूर सुना होगा – वाह ताज। ताजमहल आपने देखा हो न हो, लेकिन ताज की ताजगी और सुंदरता को आपने अपने टीवी पर जरूर देखा होगा। जब विश्वविख्यात तबलावाद उस्ताद जाकिर हुसैन अपने तबले पर थाप देते हैं, बालों को एक लय में लहराते हैं और बाद में चाय की चुस्की के साथ वाह ताज ! बोलते हैं, तो हर किसी का मन ताजगी से भर जाता है।

याद आ गया न। मंगलवार यानी 9 मार्च को इन्हीं उस्ताद जाकिर हुसैन साहेब का जन्मदिन है। आज ये किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। यदि ये कहा जाए कि ये युवापीढी के तबला के पर्याय बन चुके हैं, तो शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी। आज भी जब ये अपना शो करते हैं, तो उनकी स्फूर्ति, थाप की गति और लय देखकर लोग इन्हें चिरयुवा मानते हैं।

आखिर इसका राज क्या है ? कुछ समय पहले अपने एक इंटरव्यू में जाकिर हुसैन ने कहा था कि अपने आस-पास बहुत सारे प्रतिभावान युवा कलाकारों को देखना दिल को सुकून देने वाला होता है। मैं उनका हर प्रकार से समर्थन करना चाहता हूं। इस दौरान मेरा भी फायदा हो जाता है। इससे मेरा संगीत और मैं युवा बना रहता
हूं। तरोताजा और ऊर्जावान बने रहने का राज यही है।

बता दें कि जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को हुआ था। जाकिर हुसैन मशहूर तबला वादक क़ुरैशी अल्ला रखा ख़ान के पुत्र हैं। तबलावाद के रूप में अल्ला खान साहेब का भी कोई मुकाबला नहीं था। जाकिर हुसैन के पहले गुरू उनके पिता ही रहे हैं। जाकिर हुसैन का बचपन मुंबई में ही बीता। बताया जाता है कि जाकिर हुसैन, महज तीन साल के थे जब उनके पिता उस्ताद अल्लारक्खा खान ने उन्हें पखावज सिखाना शुरू कर दिया था। परिवार में जो विलक्षण गुण मिला, उसकी ही कहानी है कि जाकिर हुसैन जब अपनी उंगलियों से तबले पर थाप छोड़ते हैं, तो उन उंगलियों और तबले में एक गजब का मेल दिखाई पड़ता है।

अपने पिता और गुरु से हिंदुस्तानी संगीत की हर बारीकी को सीखा। एक पुस्तक में जिक्र है कि जाकिर हुसैन बहुत ही छोटे थे, जब उन्होंने कार्यक्रमों में तबला वादक के रूप में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। कई बार ये अपने पिता के साथ भी शो में जाते रहे। साल 1987 में जाकिर हुसैन का पहला सोलो म्यूजिक एल्बम रिलीज हुआ था, जिसका नाम था- मेकिंग म्यूजिक। यही ंसे सफलता की सीढी जो तैयार हुई, आज तक जारी है। इनके सोलो एल्बम से जाकिर को वह मुकाम मिला, जिसकी कल्पना संभवतः इन्होंने भी नहीं की होगी। इसके बाद तो देश ही नहीं, विदेशों से प्रोग्राम करने के बुलावे आने लगे। इन्होंने खूब यात्राएं की और संगीत की दुनिया में अपनी थाप को दिखाते रहे। यहां यह जानना भी दिलचस्प है कि उस्ताद एक वर्ष में 200 से ज्यादा शो करते हैं।

ऐसा नहीं है कि जाकिर हुसैन केवल तबले की दुनिया तक सीमित रहे। इंसान बडा हो, तो उसके सपने अधिक होते हैं। यही कारण रहा होगा कि 1983 में आई फिल्म ‘हीट एंड डस्ट’ के जरिए उन्होंने अपने अभिनय के क्षेत्र में भी हाथ आजमाया। इस फिल्म में शशि कपूर अहम भूमिका में थे। इसके बाद ‘द परफेक्ट मर्डर’ और ‘मिस बैटीज चिल्डरन’ जैसी फिल्मों में काम मिला। समीक्षकों के लिए यहां भी काम करना मुश्किल था। जाकिर हुसैन के अभिनय की चर्चा उस समय खूब हुई, जब 1998 में वह शबाना आजमी के अपोजिट फिल्म ‘साज’ में दिखाई दिए।

 

 

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