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Afghan Girls : कहां जाएगा अफगान का समाज , जब महिलाएं नहीं होंगी शिक्षित

अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है। लड़कियों को स्कूल-कॉलेज आने जाने में कई प्रकार की दुश्वारियों से दो-चार होना पड़ रहा है। यूनेस्को की हालिया रिपोर्ट ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। क्या तालिबान सरकार अपने सोच में परिवर्तन लाएगा ?

काबुल। जिस प्रकार से तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है और उसके बाद महिलाओं को लेकर एक से एक आदेश जारी कर रहा है, उसे कतई सही नहीं माना जा सकता है। तालिबान सरकार ने वहां की लड़कियों के लिए स्कूल-कॉलेज जाने से एक तरह से मनाही कर दी है। जो जाती हैं, उनके लिए विशेष पाबंदी। ऐसे में वैश्विक स्तर पर कई प्रकार के सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि यदि इसी प्रकार तालिबान सकार ने महिलाओं के लिए आदेश जारी किया तो वहां का समाज तहस-नहस हो जाएगा। परिवार और समाज के लिए वह बेहद घातक होगा।

बता दें कि यूनाइटेड नेशन एजुकेशनल साइंटिफिक एंड क्लचरल ऑर्गेनाइजेशन (UNESCO) और यूनाइटेड नेशनल चिल्ड्रेन फंड (UNICEF) ने कहा है कि अफगान लड़कियों के स्कूलों को बंद करना शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने एक बयान में कहा कि अगर लड़कियों के स्कूल बंद रहते हैं, तो यह लड़कियों और महिलाओं के शिक्षा के मौलिक अधिकार का एक महत्वपूर्ण उल्लंघन होगा। यूनेस्को और यूनिसेफ दोनों ने कहा कि अफगानिस्तान ने शिक्षा के क्षेत्र में, विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा में महत्वपूर्ण प्रगति की है और उन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए।

असल में, विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 90 फीसदी अफगान महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हैं और 17% ने यौन प्रताड़ना झेली है। जब वह न्याय व्यवस्था का रुख करती हैं तो पुरुषों के मुकाबले खुद को असमर्थ पाती हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में वहां महिला न्याय को लेकर समाज और सरकार के स्तर पर सुधार की राह खुलने लगी थी। लेकिन तालिबान की वापसी ने अब तक हुई महिला अधिकारों को लेकर हुई तरक्की पर संकट खड़ा कर दिया है।

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