Kolkata Durga Puja 2021: दुर्गा पूजा की शुरुआत महालया से

महालया (Mahalaya)से दुर्गा पूजा की शुरुआत मानी जाती है. महालया आज है. ऐसी मान्यता है कि आज धरती पर मां दुर्गा का आगमन हो जाता है. इसके अलगे दिन से नवरात्र और दुर्गा पूजा की शुरुआत होती है. नवरात्र की शुरुआत कल से हो रही है.

महालया अमावस्या (सर्वपितृ अमावस्या) इस साल 06 अक्टूबर को है. महालया के साथ ही जहां एक तरफ श्राद्ध खत्म हो जाते हैं वहीं मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां दुर्गा कैलाश पर्व से धरती पर आगमन करती हैं और अगले 10 दिनों तक यहीं रहती हैं. महालया के दिन ही मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखों को तैयार करते हैं. महालया के बाद ही मां दुर्गा की मूर्तियों को अंतिम रूप दे दिया जाता है तथा पंडालों की सुंदरता और भी बढ़ जाती है।।

ऐसी मान्यता है कि महालया के साथ जहां श्राद्ध पक्ष खत्म होते हैं वहीं इसी दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आगमन कर अगले 10 दिनों के लिए वास करती हैं। .हिन्दू धार्मिक शास्त्रों में दुर्गापूजा अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में होती है। इस बार नवरात्रि 15 अक्टूबर पर विजयादशमी या दशहरा के साथ खत्म हो रही है. महालया वैसे तो बंगालियों का प्रमुख त्यौहार है, लेकिन यह देशभर में काफी उत्साह और धूम के साथ मनाया जाता है. मां दुर्गा के प्रति आस्था रखने वाले भक्त इस दिन का काफी इंतजार करते हैं. महालया से ही दुर्गा पूजा की शुरुआत मानी जाती है.तथा इसी बहुत हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि महिषासुर नाम के असुर के सर्वनाश के लिए महालया के दिन मां दुर्गा का आव्हान किया गया था. जिसके बाद महालया अमावस्या की सुबह सबसे पहले पितरों को विदाई दी जाती है. फिर शाम को मां दुर्गा कैलाश पर्वत से पृथ्वी लोक आती हैं और पूरे नौ दिनों तक यहां रहकर धरतीवासियों पर अपनी कृपा अमृत बरसाती हैं. महालया अमावस्या का महत्व महालया अमावस्या दिवंगत आत्माओं के लिए होती है. अपने पितरों को याद कर उन्हें जल तर्पण किया जाता है. उन्हें जल जीवन और प्रेम के प्रतीक के रुप में देते हैं. इसलिए इसे महालया अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन सभी पूर्वजों को स्मरण भी किया जाता है. महालया पितृ पक्ष का आखिरी दिन भी है, वहीं जिन पितरों के मरने की तिथि याद न हो या पता न हो तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सभी पूर्वजों को स्मरण भी किया जाता है।।।