Home ओपिनियन सांस्कृतिक एकता का जीवंत उत्सव: काशी से आरंभ, रामेश्वरम में समापन

सांस्कृतिक एकता का जीवंत उत्सव: काशी से आरंभ, रामेश्वरम में समापन

डॉ धनंजय गिरि

काशी तमिल संगमम 4 भारत की सांस्कृतिक एकता और सभ्यतागत निरंतरता का एक जीवंत प्रतीक बनकर उभरा है। 2 दिसंबर को इसकी शुरुआत काशी में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने की थी और आज, 30 दिसंबर को, तमिलनाडु के रामेश्वरम में उपराष्ट्रपति डॉ. सी. पी. राधाकृष्णन की गरिमामयी उपस्थिति में इसका समापन हो रहा है। यह यात्रा केवल भौगोलिक दूरी तय करने की नहीं, बल्कि देश की दो प्राचीन सांस्कृतिक धाराओं को भावनात्मक रूप से जोड़ने की ऐतिहासिक पहल है।

काशी और रामेश्वरम—ये दोनों ही स्थल भारत की आत्मा के दो ध्रुव हैं। एक ओर काशी ज्ञान, तप और मोक्ष की प्रतीक है, तो दूसरी ओर रामेश्वरम भक्ति, मर्यादा और सांस्कृतिक संकल्प का केंद्र। काशी तमिल संगमम ने इन दोनों के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को नई पीढ़ी के सामने सजीव रूप में प्रस्तुत किया है।

इस चौथे संस्करण में शिक्षा, भाषा, कला और लोकसंस्कृति को विशेष महत्व दिया गया। तमिल भाषा और परंपरा का काशी की धरती पर उत्सव मनाया जाना यह दर्शाता है कि भारत की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। छात्र, शिक्षक, कलाकार और विद्वान—सभी ने इस आयोजन के माध्यम से एक-दूसरे की संस्कृति को न केवल जाना, बल्कि उसे अपनाने का भी प्रयास किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रेखांकित काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भारत की आत्मा उसकी भाषाई और सांस्कृतिक विविधता में बसती है। इस बार संगमम की थीम ‘तमिल करकलम’ केवल एक विचार भर नहीं रही, बल्कि काशी की गलियों, घाटों और शैक्षणिक परिसरों में एक सजीव अनुभव के रूप में दिखाई दी।

काशी में स्कूली छात्रों को तमिल भाषा सीखते, उसे बोलते और उसकी संस्कृति को जीते देखना इस पहल के मूल उद्देश्य को स्पष्ट रूप से सामने लाता है। यह केवल भाषा का आदान–प्रदान नहीं, बल्कि पीढ़ियों के बीच सांस्कृतिक सेतु का निर्माण है। जब बच्चे किसी दूसरी भाषा और परंपरा को अपनाते हैं, तो वह भविष्य के भारत में आपसी समझ, सम्मान और सौहार्द की मजबूत नींव रखते हैं।

तमिल और काशी—दोनों ही भारत की प्राचीन सभ्यताओं के प्रतीक हैं। एक ओर तमिलनाडु की समृद्ध साहित्यिक और दार्शनिक परंपरा है, तो दूसरी ओर काशी की आध्यात्मिक चेतना और ज्ञान परंपरा। काशी तमिल संगमम इन दोनों धाराओं को एक साथ प्रवाहित कर यह संदेश देता है कि भारत की एकता किसी एकरूपता में नहीं, बल्कि विविधता के सामंजस्य में निहित है।

‘तमिल करकलम’ के माध्यम से शिक्षा, संस्कृति और संवाद को केंद्र में रखा गया है। भाषा को केवल पाठ्यक्रम तक सीमित रखने के बजाय उसे जीवन का हिस्सा बनाना इस पहल की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इससे न केवल सांस्कृतिक दूरी कम होती है, बल्कि राष्ट्र के विभिन्न हिस्सों के बीच भावनात्मक जुड़ाव भी मजबूत होता है।

प्रधानमंत्री का यह दृष्टिकोण कि ऐसे आयोजनों से समुदायों के बीच संबंध प्रगाढ़ होते हैं, काशी में साकार होता दिखाई दिया। काशी तमिल संगमम का यह संस्करण एक स्पष्ट संदेश देता है—जब युवा पीढ़ी एक-दूसरे की भाषा और संस्कृति को अपनाती है, तब ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सपना केवल नारा नहीं, बल्कि जीवंत सच्चाई बन जाता है।

काशी तमिल संगमम 4 यह संदेश देता है कि राष्ट्रीय एकता किसी एक संस्कृति के वर्चस्व से नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और संवाद से सुदृढ़ होती है। जब उत्तर और दक्षिण, गंगा और समुद्र, काशी और रामेश्वरम एक सांस्कृतिक सूत्र में बंधते हैं, तब ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना और भी प्रबल होती है।

आज रामेश्वरम में हो रहा इसका समापन वास्तव में किसी अंत का संकेत नहीं, बल्कि उस सांस्कृतिक यात्रा की निरंतरता का प्रतीक है, जो आने वाले समय में भारत की विविधताओं को और अधिक मजबूती से एक-दूसरे से जोड़ेगी। काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण का समापन समारोह 30 दिसंबर को तमिलनाडु के रामेश्वरम में आयोजित किया जाएगा, जिसमें उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन मुख्य रूप से शामिल होंगे। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 2 दिसंबर से 15 दिसंबर तक आयोजित काशी तमिल संगमम की समापन कड़ी है।

वाराणसी में लगातार चौथे वर्ष आयोजित इस आयोजन में तमिलनाडु से आए छात्र, कलाकार, किसान और स्वयंसेवकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस पहल का उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक, भाषाई और भावनात्मक संबंधों को और अधिक मजबूत करना रहा।

समापन समारोह में भाग लेने के लिए उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन 30 दिसंबर को दोपहर करीब 3 बजे हेलीकॉप्टर से मंडपम कैंप हेलिपैड पर पहुंचेंगे। इसके बाद वे सड़क मार्ग से रामेश्वरम बस स्टैंड के पास स्थित तमिलनाडु पर्यटन विकास निगम के अधीन मंदिर गेस्ट हाउस परिसर में आयोजित कार्यक्रम स्थल तक जाएंगे।

इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री एल. मुरुगन, भाजपा के तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष श्री नयनार नागेंद्रन, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री अन्नामलाई सहित कई वरिष्ठ भाजपा नेता भी समारोह में उपस्थित रहेंगे।