तालिबान के सत्ता में आते ही अमेरिकी राजनीति भी गरमाई

अफगानिस्तान और अमेरिका का रिश्ता सभी को पता है। जैसे ही अमेरिका के बाइड प्रशासन ने सेना बुलाई, तालिबान आक्रामक होता गया। अब तालिबान सत्ता में है। इसकी धमक अमेरिकी की राजनीति पर पड़ी है, राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है।

नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर पकड़ बनते ही कई सवाल पैदा हो रहे हैं। वहां महिलाओं के अधिकार, विदेशी नागरिकों के जानमाल की सुरक्षा आदि की चर्चा है। इस बीच अमेरिका में राजनीति तेज हो गई है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने इसे बाइडन प्रशासन की विफलता करार दिया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि तालिबान का विरोध किए बिना काबुल का पतन होना अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी हार के रूप में दर्ज होगा।

व्हाइट हाउस के अधिकारियों के मुताबिक बाइडन रविवार को कैंप डेविड में रहे जहां उन्हें अफगानिस्तान पर लगातार जानकारी दी जाती रही और वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के सदस्यों के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल करते रहे। अगले कई दिन यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण हो सकते हैं कि क्या अमेरिका स्थिति पर कुछ हद तक नियंत्रण हासिल करने में सक्षम है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अफगान सेना का जिक्र करते हुए सीएनएन को बताया, “हमने देखा कि बल देश की रक्षा करने में असमर्थ है और यह हमारे पूर्वानुमान से बहुत ज्यादा जल्दी हुआ है।”

अफगानिस्तान में उथल-पुथल राष्ट्रपति बाइडन पर अवांछित तरीके से ध्यान ले जाता है जिन्होंने बड़े पैमाने पर घरेलू एजेंडों पर ध्यान केंद्रित किया है जिनमें महामारी से उबरना, बुनियादी ढांचे के खर्च में खरबों डॉलर के लिए कांग्रेस की मंजूरी जीतना और मतदान अधिकारों की रक्षा करना शामिल है। जिन तालिबानी लड़ाकों ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर कब्जा जमाया, उसमें से एक कमांडर ने सनसनीखेज दावा किया है। उसका दावा है कि वह अमेरिका की कुख्यात जेल में आठ साल बिता चुका है।