हर दिन अयोध्या की चर्चा, क्या होगा इसका असर

उत्तरप्रदेश ने अपने राज्य की अर्थव्यवस्था के आकार को वर्ष 2027 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जबकि, महाराष्ट्र भी अपने राज्य को वर्ष 2028 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहता है। इस दृष्टि से अब उत्तरप्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों के बीच इस संदर्भ में आपस में प्रतियोगिता चल रही है।

नई दिल्ली। करोड़ों सनातनियों के लिए अयोध्या आध्यात्मिक नगरी हो। प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि हो, लेकिन राजनीति के नजरिए से देखें तो अयोध्या लोकसभा चुनाव 2024 की धुरी बनेगा। केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी इसका भरपूर लाभ उठाना चाहेगी, वही कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष को अयोध्या को लेकन जनता के बीच अपना विमर्श स्थापित करना है। हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में जिस प्रकार से देश के अंदर तीर्थ स्थलों को आर्थिक ताना-बाना से जोड़ा गया है, उससे यह भी तय है कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में भी अयोध्या का योगदान होगा।

अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन 22 जनवरी को होने जा रहे हैं। इसको भव्य और दिव्य बनाने के लिये हर स्तर पर तैयारियां जोरों पर चल रही है। इस प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ट्रस्ट की ओर से सभी लोगों को आमंत्रण भेजा रहा है। इन सबके बीच 30 दिसंबर को अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। अयोध्या जंक्शन का नाम अयोध्या धाम कर दिया गया। दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव से पहले प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या पर हो रहे निर्माण कार्यों का 2024 के चुनावी नतीजे प्रभावित होंगे, इससे कोई भी इंकार नहीं कर रहा है।

इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी गांव-गांव , शहर-शहर हर जगह राम मंदिर निर्माण का प्रचार करेगी। देश की एक-एक जनता तक सीधे पहुंचकर बताएगी की राम मंदिर निर्माण को लेकर जो कहा था, वो हमने किया है। इसलिए राम मंदिर निर्माण का लाभ भाजपा को निश्चित रूप से मिलेगा।राम मंदिर से सहारे भाजपा ने फर्श से लेकर अर्श तक का सफर तय किया है। पहले भाजपा के 2 सांसद थे लेकिन अब आधे से ज्यादा राज्यों और केंद्र में भाजपा की सरकार है। इसमें मंदिर मुद्दा का बड़ा योगदान है। राम मंदिर के जरिये भाजपा देश के 80% मतदाताओं को टच किया है। इसलिए निश्चित रूप से राम मंदिर निर्माण का 2024 लोकसभा चुनाव में फर्क पड़ेगा।

हालांकि, भाजपा की ओर से यही कहा जा रहा है कि राम मंदिर निर्माण राजनीति का विषय नहीं है। यह एक स्वप्न के साकार होने जैसा है। 500 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद प्रभु रामलला अपने भव्य मंदिर में विराज रहे हैं। यह बहुत ही प्रसन्नता का विषय है। अगर इससे भी कोई राजनीतिक लाभ की बात करता है तो इस राजनीतिक लाभ को लेने के लिए कांग्रेस और सपा को भी पूरी स्वतंत्रता थी। लेकिन इन्हें हमेशा मजहबी तुष्टिकरण दिखाई देता था, 20 फ़ीसदी वोट दिखाई देता था। यह हिंदुओं के भीतर विभाजन करते थे तो आज इनको पीड़ा क्यों हो रही है। पार्टी के कई नेता आपसी बातचीत में यही कहते हैं कि भाजपा का जो पहले स्टैंड था, आज भी उसी स्टैंड के साथ खड़े हैं।
कुछ समय पहले मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा की ओर से कहा गया था कि राम मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या के आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी। यह बढोत्तरी इसी तरह होती रही तो शहर का विस्तार जल्द ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के समान हो सकता है।जनवरी में राम मंदिर के जनता के लिए खुलने के बाद अयोध्या में आर्थिक गतिविधियां बढ़ने की उम्मीद है। जैसे-जैसे पैसा आएगा, लोगों के पास कई अवसर होंगे और इन अवसरों के साथ-साथ क्षेत्र में निवेश भी बढ़ेगा। सितंबर-अक्टूबर महीने तक तक हमें होटल बनाने के लिए 16 आवेदन प्राप्त हुए हैं और स्मार्ट सिटी की योजना भी प्रगति पर है।
अब कहा तो यह भी जा रही है कि देश के सौ से अधिक बड़े कारोबारी अयोध्या में पांच सितारा होटल बनाने के लिए इच्छुक हैं। हर कोई यहां आकर इस प्रकार के कारोबार में हाथ आजमाना चाहता है। हालांकि, कुछ स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर आशंका भी है कि कहीं आर्थिक भागदोड़ में अयोध्या का आध्यात्मिक स्वरूप न बिगड़ जाए।
कुछ समय कुछ आर्थिक रिपोर्टो के जरिए इस बात को कहा गया कि समस्त राज्यों के बीच तमिलनाडु एवं गुजरात राज्यों को पीछे धकेलते हुए उत्तरप्रदेश अब भारत की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य बन गया है। भारतीय अर्थव्यस्था में उत्तर प्रदेश का योगदान 9.2 प्रतिशत का हो गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार आज 3.7 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक का हो गया है। इसमें महाराष्ट्र राज्य का हिस्सा 15.7 प्रतिशत है। उत्तरप्रदेश राज्य का हिस्सा 9.2 प्रतिशत, तमिलनाडु राज्य का 9.1 प्रतिशत, गुजरात राज्य का 8.2 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल राज्य का 7.5 प्रतिशत है। देश की अर्थव्यवस्था में उत्तर पूर्वी राज्यों एवं जम्मू कश्मीर के बाद बिहार का भी काफी कम योगदान अर्थात केवल 3.7 प्रतिशत दिखाई पड़ता है, जबकि बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ के आसपास है। बिहार को आर्थिक विकास की दृष्टि से आज भी पिछड़ा राज्य कहा जा रहा है। पूर्व के बीमारु राज्यों की श्रेणी से उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान राज्य बाहर आ चुके हैं जबकि बिहार राज्य आज भी इसी श्रेणी में अटका हुआ है।