अब होती है कोरल की व्यापक ब्लीचिंग

भारत में कोरल ब्लीचिंग एक कभी-कभार होने वाली घटना है और इसका पर्यटन और मछुआरों की स्थानीय अर्थव्यवस्था पर अभी तक कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोक सभा में इस पर जानकारी प्रदान की है।

नई दिल्ली। वैश्विक जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि के कारण, हाल ही में लक्षद्वीप में कोरल ब्लीचिंग की घटनाएं दर्ज की गई हैं। यह ब्लीचिंग एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन यह कोरल रीफ्स की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए चिंता का विषय है। मार्च 2024 के दौरान लक्षद्वीप में कोरल ब्लीचिंग की घटनाओं की रिपोर्ट मिली है। पिछले कुछ वर्षों, 2020 से 2023 तक, कोरल ब्लीचिंग की घटनाएं महत्वपूर्ण नहीं थीं।

लक्षद्वीप प्रशासन के पर्यावरण और वन विभाग के अनुसार, कोरल रीफ्स की स्थिति में सुधार के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। कोरल प्रत्यारोपण गतिविधियाँ चल रही हैं और एकीकृत द्वीप प्रबंधन योजना के तहत कोरल रीफ्स की सुरक्षा की जा रही है। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) दीर्घकालिक कोरल रीफ निगरानी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में ब्लीचिंग की घटनाओं का अध्ययन करता है। हैदराबाद स्थित भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) ने 2011 से भारतीय कोरल क्षेत्रों के समुद्री तापमान के आंकड़ों के आधार पर कोरल ब्लीचिंग चेतावनी सेवाएं प्रदान की हैं। इसके अतिरिक्त, आईएनसीओआईएस ने समुद्री ताप तरंगों की निगरानी भी शुरू की है, जो भारतीय जल में ताप तरंगों की परिवर्तनशीलता को समझने में महत्वपूर्ण है।

भारत सरकार ने कोरल रीफ्स, बैरियर रीफ्स, फ्रिंजिंग रीफ्स और एटोल की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कई उपाय किए हैं:

सर्वोच्च सुरक्षा: भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत कोरल प्रजातियों को अनुसूची-I में सूचीबद्ध किया गया है, जो उन्हें सर्वोच्च सुरक्षा प्रदान करता है।
तटीय संरक्षण: पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना, 2019 में कोरल और कोरल रीफ्स जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है और तटीय पारिस्थितिकी प्रणालियों में विकासात्मक गतिविधियों पर रोक लगाई गई है।
दीर्घकालिक पुनरुद्धार: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कोरल पुनरुद्धार पर दीर्घकालिक कार्यक्रम शुरू किया है। समुद्री जैविक स्टेशन और भारतीय प्राणी सर्वेक्षण लक्षद्वीप में कोरल इकोसिस्टम की निगरानी और पुनरुद्धार से जुड़े हैं।
अनुसंधान और प्रबंधन: केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) ने पारिस्थितिक परिवर्तनों को समझने के लिए एक राष्ट्रीय परियोजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य उन्नत जलवायु मॉडलिंग और पारिस्थितिक अनुसंधान को एकीकृत करना है।