श्रीलंका में हो गई आपातकाल की घोषणा

आखिरकार हुआ वही जिसका अंदेशा था। श्रीलंका में कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने ने आपातकाल की घोषणा कर दी। अब स्थिति को सामान्य करने के लिए सेना अपने हिसाब से अधिकारों का प्रयोग करेगी। स्थिति सामान्य होने तक आम जनता के अधिकारों की विशेष अहमियत नहीं होगी।

कोलंबो। राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका में आपातकाल की घोषणा कर दी गई। श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी। रानिल विक्रमसिंघे ने एक असाधारण राजपत्र जारी कर द्वीप राष्ट्र में सोमवार से आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी, क्योंकि देश सामाजिक अशांति और गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। स्थानीय मीडिया आउटलेट डेली मिरर ने बताया कि गजट अधिसूचना में कहा गया है कि श्रीलंका में सार्वजनिक आपातकाल को सार्वजनिक सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था की सुरक्षा और समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं के रखरखाव के हित में घोषित किया गया है।

सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश (अध्याय 40) की धारा 2 द्वारा निहित शक्तियों के आधार पर संविधान के अनुच्छेद 40(1)(सी) के संदर्भ में विक्रमसिंघे द्वारा एक उद्घोषणा में आपातकाल की स्थिति घोषित की गई है। अखबार ने बताया कि 1959 के अधिनियम संख्या 8, 1978 के कानून संख्या 6 और 1988 के अधिनियम संख्या 28 द्वारा।श्रीलंकाई संसद ने घोषणा की कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन मंगलवार को होंगे और श्रीलंका के नए राष्ट्रपति का चुनाव 20 जुलाई को होगा।

पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश छोड़कर सिंगापुर भाग जाने के बाद इस्तीफे की पेशकश की थी। हजारों प्रदर्शनकारियों द्वारा राजधानी कोलंबो में उनके आधिकारिक आवास पर धावा बोलने के बाद राष्ट्रपति सबसे पहले मालदीव के लिए रवाना हुए।