निजीकरण के विरोध में 03 और 04 तारीख की मध्यरात्रि से महाराष्ट्र के 86000 बिजली कर्मी 72 घंटे की हड़ताल पर

महाराष्ट्र के बिजली कर्मचारी 18 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। ऐसी स्थिति को देखते हुए नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ने सारे देश के बिजली कर्मचारियों से एलर्ट रहने और किसी भी समय सख्त कदम उठाने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है ।

मुंबई। अडानी को बिजली वितरण का लाइसेंस दिए जाने की प्रक्रिया के विरोध में महाराष्ट्र के 86000 बिजली कर्मी 72 घण्टे की हड़ताल पर: देश के सभी प्रान्तों में बिजली कर्मी 04 जनवरी को विरोध सभा करेंगे। देश के किसी भी प्रान्त से कोई भी बिजली कर्मी हड़ताल के दौरान महाराष्ट्र में ड्यूटी करने नहीं जायेंगे। निजीकरण के विरोध में 03 और 04 तारीख की मध्यरात्रि से महाराष्ट्र के 86000 बिजली कर्मी 72 घंटे की हड़ताल पर जा रहे हैं। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर्स ने महाराष्ट्र के बिजली कर्मियों की हड़ताल का राष्ट्रव्यापी समर्थन करने का ऐलान किया है।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने आज यहां बताया कि नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से मांग की है कि अदानी पावर को महाराष्ट्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्य क्षेत्र में लाइसेंस न दिया जाए और इस हेतु महाराष्ट्र सरकार महाराष्ट्र के बिजली नियामक आयोग में अपना पक्ष साफ तौर पर रखें जिससे अदानी को उन क्षेत्रों में बिजली वितरण का लाइसेंस न मिलने पाए जहां पर उनका अपना कोई नेटवर्क नहीं है और महाराष्ट्र का बिजली वितरण निगम सफलतापूर्वक बिजली आपूर्ति का काम कर रहा है । उन्होंने बताया कि हड़ताल के दौरान देश के किसी भी प्रान्त से कोई भी बिजली कर्मी महाराष्ट्र में बिजली आपूर्ति का कार्य करने नहीं जाएंगे, यह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को मेल भेजकर बता दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि अदानी नवी मुंबई इलेक्ट्रिकल कंपनी ने थाने, पनवेल, खारघर आदि वृहत्तर मुंबई के कई क्षेत्रों में बिजली वितरण का लाइसेंस लेने के लिए महाराष्ट्र के बिजली नियामक आयोग में अर्जी दी है। महाराष्ट्र के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों का संयुक्त मोर्चा इसका विरोध कर रहा है। संयुक्त मोर्चे की मांग है कि अदानी या किसी निजी घराने को ऐसे क्षेत्र में बिजली वितरण का लाइसेंस न दिया जाए जहाँ उनका अपना कोई नेटवर्क नहीं है और महाराष्ट्र की बिजली वितरण कंपनी सफलतापूर्वक आम उपभोक्ताओं को बिजली देने का काम कर रही है।
यहां यह बताना जरूरी है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के अनुसार एक ही क्षेत्र में दूसरा लाइसेंस दिया जा सकता है किंतु इसकी बुनियादी शर्त यह है कि कंपनी को क्षेत्र में अपना नेटवर्क बनाना होगा जहां वे बिजली आपूर्ति का लाइसेंस मांग रहे हैं। अदानी पावर ने जिन क्षेत्रों में लाइसेंस मांगा है वहां उनका अपना कोई इंफ्रास्ट्रक्चर या नेटवर्क नहीं है। अदानी पावर महाराष्ट्र बिजली वितरण कंपनी के नेटवर्क का इस्तेमाल कर केवल मुनाफे वाले क्षेत्र में बिजली आपूर्ति करने की मंशा रखता है। बिजली कर्मियों का एतराज है कि ऐसे में निजी कंपनी सरकारी कंपनी का नेटवर्क इस्तेमाल कर चेरी पीकिंग करेगी और मुनाफे वाले औद्योगिक एवं वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को सरकारी कंपनी से छीन लेगी। नतीजा यह होगा कि सरकारी कंपनी आर्थिक तौर पर कंगाल हो जाएगी और सरकारी कंपनी के पास न बिजली खरीदने का पैसा होगा और न ही वह आम गरीब उपभोक्ताओं को बिजली दे पाएगी।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इसे एक बड़ी साजिश बताते हुए कहा है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 अभी स्टैंडिंग कमिटी के सामने विचाराधीन है। किंतु मुंबई में अदानी पावर को बिना अपना नेटवर्क बनाएं लाइसेंस देकर परोक्ष तौर पर इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 के प्रावधान को लागू किया जा रहा है जो सरासर गलत है और अस्वीकार्य है। उन्होंने बताया की अदानी की तरह टोरेंट कंपनी ने भी पुणे,कल्यान, पिम्परी चिंचवड़, वाशी और चाकन में लाइसेंस के लिए अर्जी दी है तथा टाटा पावर ने औरंगाबाद और जलगांव का बिजली वितरण पीपीपी मॉडल पर लेने का की इच्छा जताई है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में जो प्रयोग हो रहा है वह चौंकाने वाला है ।अरबों खरबों रुपए से बनाये गये बिजली का नेटवर्क निजी घरानों को मुनाफा कमाने के लिए इस्तेमाल करने की छूट देने से बिजली सेक्टर पूरी तरह तबाह हो जाएगा। इससे कर्मचारियों में भारी गुस्सा है। महाराष्ट्र के बिजली कर्मियों की हड़ताल के समर्थन में देशभर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर 04 जनवरी को सभी प्रांतों की राजधानी में प्रदर्शन करेंगे।