शिवराज सिंह चौहान
जल, जंगल, ज़मीन, स्वत्व और स्वाभिमान के लिये जीवन की अंतिम श्वांस तक संघर्ष करने वाले महान योद्धा भगवान बिरसा मुंडा को कोटिशः नमन और प्रदेशवासियों को जनजातीय गौरव दिवस की शुभकामनाएँ।
आज भगवान बिरसा मुंडा का जन्म दिवस है। इसे प्रदेश के गाँव-गाँव में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी ने समस्त जनजातीय वर्ग के सम्मान में शहडोल में आयोजित होने वाले गौरवपूर्ण समारोह में आने का हमारा निमंत्रण स्वीकार किया है। माननीय राष्ट्रपति जी का मध्यप्रदेश में प्रथम आगमन हमारे लिए गौरव का विषय है। मैं मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता की ओर से उनका हृदय से स्वागत करता हूँ। यह आयोजन केवल जनजातीय समाज का ही नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज का एकात्म भाव है।
जनजातीय गौरव के प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा ने जनजातीय संस्कृति, स्वाभिमान और स्वतंत्रता की रक्षा के लिये आधे दशक से भी अधिक समय तक अंग्रेजों से लोहा लिया। वर्ष 1893-94 में अंग्रेजों ने वन्य भूमि को भारतीय वन अधिनियम के तहत आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया। जिसमें जनजातियों को वन अधिकारों से वंचित कर दिया और जंगलों पर सरकारी कब्जा कर लिया गया। बिरसा मुंडा ने जनजातियों के अधिकारों की माँग की और स्वतंत्रता के लिये नारा दिया ‘अबुआ दिशोम-अबुआ राज’ यानी अपना देश-अपनी माटी। उनके इस उद्घोष के साथ उलगुलान क्रांति आरंभ हुई। इस क्रांति ने विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध जनजातियों में अलख जगाई। उन्होंने जन-जन को यह विश्वास दिलाया कि यह धरती हमारी है और हम इसके रक्षक हैं। उनके इस क्रांतिकारी आह्वान की चेतना से जनजातियाँ और किसान शोषण करने वाली कृषि व्यवस्था के विरोध में उठ खड़े हुए। बिरसा मुंडा के नेतृत्व में जनजातियों ने वनांचल के प्राकृतिक अधिकारों को बहाल करने और लगान माफ़ी के लिये अंग्रेजों के विरोध में मोर्चा खोला।
उनके उलगुलान के संदेश से भयभीत होकर अंग्रेजों ने छोटा नागपुर टेनेंसी क़ानून पारित किया। जनजातियों के अधिकारों को बहाल कर दिया गया। बिरसा मुंडा की जनजातीय चेतना ने लोगों के लिए धर्म और राष्ट्र विरोधी विदेशी आक्रांताओं को बाहर निकालने का मार्ग प्रशस्त किया। बिरसा मुंडा का व्यक्तित्व और संघर्ष जनजातीय समाज के लिये धर्म, संस्कृति और राष्ट्र रक्षा का प्रतीक है। वे भारतीय जनजातियों के गौरवशाली इतिहास का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लेकर जनजातियों के गौरव की पुनर्स्थापना की है।
#JanJatiyaGauravDivas मनाने के पीछे हमारा पुनीत उद्देश्य है कि देश व जनजातीय समाज के गौरव, गरिमा और अस्मिता को अक्षुण्ण रखने के लिए आत्मोसर्ग करने वाली महान विभूतियों की यशगाथा को आने वाली पीढ़ियां आत्मसात कर पाएं, उनके योगदान का स्मरण करें। #मध्यप्रदेश_पेसा_एक्ट pic.twitter.com/OgW7PhaSy5
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 15, 2022
मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि जनजातीय भाई-बहनों के कल्याण के लिये मध्यप्रदेश में आज से पेसा नियम लागू कर दिया गया है। इस नियम के लागू होने से ग्राम सभाएँ सशक्त होंगी, ग्राम सभाओं के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि होगी, पंचायती राज व्यवस्था को मज़बूती मिलेगी, जनजातियों को कई सुविधाएँ मिलेंगी और उनकी ज़िंदगी सरल बनेगी। जनजातियों के कल्याण और समृद्धि के लिये प्रदेश में 827 वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में बदलने का महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। मध्यप्रदेश में वन समितियों को अधिकार देकर उन्हें सशक्त बनाया जा रहा है। वन समितियाँ अब प्रबंधन का कार्य भी करेंगी।
जनजातीय समाज का उत्थान हमारी प्राथमिकता है। तेंदूपत्ता संग्राहकों को 75 प्रतिशत और समितियों को 5 प्रतिशत लाभांश मिलेगा। तेंदूपत्ता संग्राहकों के बच्चे पैसों के अभाव में पढ़ाई से वंचित न रहें इसके लिये इन बच्चों की पढ़ाई का ख़र्च प्रदेश सरकार उठाएगी। जनजातीय क्षेत्र में 63 एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल, 89 कन्या शिक्षा परिसर, मॉडल स्कूल उपलब्ध हैं और 95 सी.एम. राइज़ स्कूल प्रारंभ होने जा रहे हैं।
जनजातियों को वन सम्पदा और वन औषधि का ज्ञान है। उनके इस मौलिक प्राकृतिक ज्ञान को आयुर्वेद से जोड़ने के लिये देवारण्य योजना लागू की गई है। जनजातीय वर्ग को सिकल सेल एनीमिया की बीमारी से मुक्त करने के लिये 89 जनजातीय विकासखंडों में गर्भवती महिलाओं और 6 माह से 25 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग, प्रबंधन, जेनेटिक काउंसलिंग और जन-जागरुकता का मिशन मोड में कार्य किया जा रहा है।
सेवा भावना और कमर्ठता जनजातियों का स्वभाव है। उनकी इन विशेषताओं को अवसर प्रदान करने के लिये मुख्यमंत्री राशन आपके ग्राम योजना शुरू की गई। इसमें प्रदेश के 20 जिलों के 89 जनजातीय विकासखंडों के 6 हज़ार 500 गाँवों में 7 लाख से अधिक परिवारों के युवा अपनी गाड़ियों से राशन पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। हमारे इस प्रयास से युवाओं को समाज में सम्मान मिला है और वे समृद्ध भी हुए हैं। युवाओं को स्व-रोज़गार से सबल बनाने की दिशा में भगवान बिरसा मुंडा स्व-रोज़गार योजना, टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना और मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति विशेष परियोजना-वित्त पोषण योजना से जनजातीय युवाओं के उत्थान की संभावनाएँ प्रबल हुई हैं।
लगभग दो दशक पहले अंधकार में डूबे जनजातीय क्षेत्र आज बिजली से पूरी तरह रोशन हैं। हमने जनजातीय क्षेत्रों में 24 घंटे घरेलू और 10 घंटे कृषि कार्यों के लिये बिजली उपलब्ध करवाई है। जल जीवन मिशन से जनजातीय अंचलों में हर घर में नल से शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिये विशेष अभियान चलाया है। मेरा मानना है सरकार का काम सिर्फ़ सड़क, पुल, पुलिया, स्कूल, बांध, अस्पताल बनाना ही नहीं है, इंसान की ज़िंदगी बनाना और बचाना भी हमारी प्राथमिकता है।
मुझे इस बात का संतोष है कि भगवान बिरसा मुंडा ने जनजातीय समाज के उत्थान और गौरव के लिये जो कल्पना की थी वह माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में धरातल पर दिखाई दे रही है। जनजातीय भाई-बहन स्वाभिमान के साथ जियें इसके लिये आइये हम सभी संकल्प लें, जनजातीय वर्ग के कल्याण का, उन्नति का, विकास का और प्रगति का। जनजातीय समाज जितना सशक्त और समर्थ होगा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की संकल्पना को उतनी मज़बूती मिलेगी।
एक बार पुनः आप सभी को जनजातीय गौरव दिवस की शुभकामनाएँ…।
(लेखक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)