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Gujrat CM Crisis : गुजरात का सबसे बड़ा सवाल, विजय रूपाणी के बाद कौन ?

आनंदीबेन को चुनाव से पहले हटाकर विजय रूपाणी को सीएम बनाया गया था। अब रूपाणी को चुनाव से कुछ समय पहले हटाकर किसी सीएम की कुर्सी दी जाएगी ? भाजपा के रणनीतिकार गुजरात पहुंचे हैं। विधायकों के मन को माना जाएगा या केंद्रीय नेतृत्व ने निर्णय कर लिया है, हर कोई इसी सवाल को लेकर हैरान सा है।

अहमदाबाद। पूरे देश की आंखें कल से गुजरात की ओर लग गई कि आखिर अचानक मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अपना त्यागपत्र क्यों दिया ? जब दिया तो चुनाव से पहले ही क्यों और सबसे बड़ा सवाल कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ? ये महज आम जनता के सवाल नहीं हैं। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी इन्हीं सवालों के लिए राज्य के भाजपा विधायकों का मन टटोलने के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता तरूण चुघ को राज्य भेज चुकी है।
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के नेता नरेंद्र सिंह तोमर तथा पार्टी के नेता तरुण चुग अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचे। उन्होंने कहा,”विजय रूपाणी जी के इस्तीफे के बाद कौन मुख्यमंत्री बनेगा ये विषय हमारे सामने हैं। हम आज प्रदेश अध्यक्ष और अन्य लोगों से चर्चा करेंगे।”


असल में ये सियासी संकट अचानक से जनता की नजर में उस समय आईं जब मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अपने पद से त्यागपत्र दिया और उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित गृहमंत्री अमित शाह के प्रति आभार जताया। इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह गुजरात आए थे। माना जाता है कि उनके राज्य में रहने के दौरान ही पूरी पटकथा को अंतिम रूप दिया जा चुका था। उनके दिल्ली आते उसे एक्टिवेट कर दिया गया।
राज्य के अगले मुख्यमंत्री के रूप में जो नाम सानमे आ रहे हैं, उसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और सांसद विजय रूपाला का नाम भी है। हालांकि, मोदी-शाह के युग में कौन सा नान अंतिम माना जाएगा, इसके लिए सियासी पंडितों की गणना भी फेल हो जाती है। लोगों ने हाल ही में इसे उत्तराखंड में देखा और समझा है।
गौर करने योग्य यह भी है कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने अपने पद से इस्तीफा देने के बाद कहा कि यह ‘भाजपा की परंपरा’ है और पार्टी सभी कार्यकर्ताओं को बराबरी से मौके देने पर भरोसा करती है। 65 वर्षीय रुपाणी अगस्त 2०16 में मुख्यमंत्री बनाए गए थे, जब आनंदी बेन पटेल ने 75 वर्ष के होने पर अपनी उम्र को आधार बनाकर इस्तीफा दिया था। रुपाणी के नेतृत्व में ही भाजपा ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बावजूद 2०17 विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी। गुजरात में 2०22 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में सिर्फ एक साल पहले मुख्यमंत्री के पद छोड़ने को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। अगले साल नवंबर-दिसंबर में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इस बदलाव को एंटी-इंकम्बेंसी कम करने की कवायद माना जा रहा है। इससे पहले 2०17 के गुजरात विधानसभा चुनाव से साल भर पहले आनंदी बेन पटेल को हटाकर विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
बार-बार मुख्यमंत्री बदले जाने के बावजूद आज तक कई दशकों से वहां भाजपा की ही सरकार बनती रही है। यह प्रयोग उप्र में भी करने की कोशिश की गयी थी लेकिन सफल नहीं हो सकी। हालांकि उप्र में अभी चुनाव में समय है। लेकिन संघ की निकटता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उनके एजेंडे पर चलने और उत्तर प्रदेश की नब्ज पकड़ पाने में पूरी तरह सफल होने के चलते केंद्रीय नेतृत्व उत्तर प्रदेश में यह प्रयोग दोहरा नहीं सका।

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