सियासी चर्चे में ऐसे आए भोजपुरी गायक पवन सिंह

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने भोजपुरी गायक एवं अभिनेता पवन सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा के फैसले की आलोचना की थी। पार्टी ने आरोप लगाया था कि सिंह के कई गाने असभ्य हैं और उनमें राज्य की महिलाओं सहित सभी महिलाओं को अश्लील तरीके से चित्रित किया गया है। भाजपा के फैसले पर विवाद हुआ, जिसे शांत करने के लिए पार्टी ने पवन सिंह को चुनाव मैदान से हटने के लिए राजी किया। रविवार को सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया।

पवन सिंह के चुनाव लड़ने से मना करने के फैसले के बाद तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उसने चुनाव प्रचार अभियान शुरू होने से पहले ही सीट छोड़ दी। अब टीएमसी नेता बाबुल सुप्रियो ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ‘मेरे मन में उनके खिलाफ या एक कलाकार के रूप में कुछ भी नहीं है। लेकिन विशेष रूप से एक व्यक्ति के वीडियो और फिल्मों में बंगाली महिलाओं को निशाना बनाया जाता है, कैसे क्या बीजेपी ऐसे किसी व्यक्ति को आसनसोल से मैदान में उतार सकती है। इस ट्वीट से साफ है कि जानबूझकर ऐसा ट्वीट करने के लिए कहा गया है। बीजेपी के लिए उम्मीदवारों से बात किए बिना अपनी पहली सूची जारी करना असंभव है।’

भाजपा की पहली सूची में चार भोजपुरी अभिनेताओं को टिकट दिया गया है, जिनमें आसनसोल से पवन सिंह के अलावा उत्तर पूर्वी दिल्ली से मनोज तिवारी, यूपी के गोरखपुर से रवि किशन, यूपी के आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव निरहुआ का नाम शामिल है, लेकिन अब पवन सिंह ने आसनसोल से चुनाव लड़ने से इनकार कर सभी को चौंका दिया है। शनिवार को जब पार्टी ने उनके नाम का एलान किया था तो पवन सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर पार्टी नेतृत्व का आभार जताया था और लिखा था कि पार्टी ने उन पर भरोसा किया है तो वे पूरी ईमानदारी से आसनसोल की धरती पर जनता की सेवा करने की बात लिखी थी। पवन सिंह बिहार के आरां के रहने वाले हैं और बीते कई दिनों से चर्चा थी कि पवन सिंह को पार्टी आरां से ही टिकट दे सकती है। हालांकि पार्टी ने उन्हें आसनसोल सीट से चुनावी मैदान में उतारा। आसनसोल सीट पर अभी टीएमसी के शत्रुघ्न सिन्हा सांसद हैं। आसनसोल में 30 फीसदी गैर बंगाली मतदाता हैं और इनमें अधिकतर संख्या बिहारी मूल के मतदाता शामिल हैं। वहीं इस सीट पर 30 फीसदी अल्पसंख्यक मतदाता हैं।