किसान और सरकार की आज की बैठक भी बेनतीजा, अगली बैठक 15 जनवरी को

नई दिल्ली। किसानों के साथ सरकार की बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं। सरकार ने आज की बैठक में साफ कर दिया कि वह कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तो किसान नेताओं ने भी तीखे तेवर अपना लिए हैं- जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी, उनकी घर वापसी नहीं होगी। अब दोनों की बातचीत के लिए अब एक और नयी तारीख 15 जनवरी तय हुई है। जबकि सरकार ने रास्ता न निकलते देख कहा है- अब फैसला सुप्रीम कोर्ट करे तो बेहतर।

बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज किसान यूनियन के साथ तीनों कृषि क़ानूनों पर चर्चा होती रही परन्तु कोई समाधान नहीं निकला। सरकार की तरफ से कहा गया कि क़ानूनों को वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, परन्तु कोई विकल्प नहीं मिला। किसान यूनियन और सरकार दोनों ने 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक का निर्णय लिया है। मुझे आशा है कि 15 जनवरी को कोई समाधान निकलेगा। सरकार ने बार-बार कहा है कि किसान यूनियन अगर क़ानून वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प देंगी तो हम बात करने को तैयार हैं। आंदोलन कर रहे लोगों का मानना है कि इन क़ानूनों को वापिस लिया जाए। परन्तु देश में बहुत से लोग इन क़ानूनों के पक्ष में हैं।

आज किसान यूनियन के साथ तीनों कृषि क़ानूनों पर चर्चा होती रही परन्तु कोई समाधान नहीं निकला। सरकार की तरफ से कहा गया कि क़ानूनों को वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, परन्तु कोई विकल्प नहीं मिला। वहीं, दूसरी ओर किसान नेताओं ने कहा कि तारीख पर तारीख चल रही है। बैठक में सभी किसान नेताओं ने एक आवाज़ में बिल रद्द करने की मांग की। हम चाहते हैं बिल वापस हो, सरकार चाहती है संशोधन हो। सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो हमने भी सरकार की बात नहीं मानी।

किसान नेताओं ने यह भी कहा कि नए कृषि क़ानून गैर-क़ानूनी है। हम इसके खिलाफ हैं। इन्हें सरकार वापिस ले। हम कोर्ट में नहीं जाएंगे। हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। 15 जनवरी को सरकार द्वारा फिर से बैठक बुलाई गई है। सरकार क़ानूनों में संशोधन की बात कर रही है, परन्तु हम क़ानून वापिस लेने के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।