हमको हो गया है प्यार मिस्टर विलेन से …

विलेन से प्यार कोई अच्छी बात नहीं लेकिन फिल्मों में डार्क शेड में विलेन लेकर ही तो हीरो की इमेज बनाई जाती है । बुरा दिखाकर ही अच्छाई सामने लाई जाती है । फिर भी विलेन से प्यार कोई अच्छी खबर नहीं !

कमलेश भारतीय

वैसे तो बच्चों को हीरो से प्यार होता है और वे गाते भी हैं -हमको हो गया है प्यार मिस्टर इंडिया से ! फिर भी अब एक नया शोध सामने आया है , जो बहुत ही चौकाने वाला है -हमको है गया है प्यार मिस्टर विलेन से ! यह शोध मिशीगन यूनिवर्सिटी में किया गया जिसमें यह शोध निकल कर सामने आया है कि बच्चे अब हीरो की बजाय विलेन को पसंद कर रहे हैं और कहते हैं कि विलेन जन्मजात बुरे नहीं होते ! विलेन जानवरों से भी अच्छा व्यवहार करते हैं । बच्चों का विलेन के प्रति साफ्ट काॅर्नर बहुत ही खतरनाक संकेत है समाज के लिए ।
वैसे भी जब डाॅन को महिमामंडित करोगे तो लारेंस बिश्नोई ही पैदा होंगे कि नहीं ?
शोध में यह भी बताया गया है कि विलेन आत्ममुग्ध होते हैं , महत्वाकांक्षी होते हैं और बहुत गुस्सेल भी होते हैं । ये तीनों प्रवृत्तियां इनमें आमतौर पर देखी गयीं ! विलेन को पसंद करने वाले लोग भी आत्ममुग्ध होते हैं और अपने से ऊपर किसी को नहीं समझते ! दूसरी बात कि ऐसे लोग कपटी और महत्त्वाकांक्षी होते हैं । वे दूसरों को मूर्ख बनाकर आगे बढ़ने की चाह रखते हैं । तीसरी बात कि इनमें सेल्फ कंट्रोल नहीं होता यानी जल्दी आपे से बाहर हो जाते हैं । कभी भी गुस्से हो सकते हैं । ये सारे गुण डार्क पर्सनेलिटी को दर्शाते हैं ।
मुम्बई की फिल्म नगरी में यह माना गया कि एक समय सबसे बड़े विलेन प्राण थे लेकिन वे बहुत अच्छे इंसान थे । हेमामालिनी तक ने कहा कि उनकी आखें देखते ही मैं कांपने लग जाती थी । फिर प्राण ने उपकार फिल्म के मलंग से अपनी इमेज बदली और पाॅजीटिव रोल किये । इसी तरह हिसार के एक्टर यशपाल शर्मा ने विलेन के रूप में अनेक फिल्मों में काम कर वाहवाही लूटी लेकिन वे भी एक सहदय इंसान हैं और जल्दी पिघल जाते हैं । हरियाणवी वैब सीरीज काॅलेज कांड में जेके का किरदार ऐसा ही है जो धाकड़ पुलिस ऑफिसर होने के बावजूद अपने बेटे के लिए पिघल जाता है ।
इसी तरह कपिल शर्मा के शो मे विलेन प्रेम चोपड़ा कहते हैं कि जब विलेन के रूप में हम हीरोइन को पकड लेते है तो वह कहती है कि भगवान् के लिए हमें छोड़ दो तो विलेन कहता है कि हम तुम्हे भगवान् के दिन कैसे छोड़ सकते हैं !

(पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी )