नई दिल्ली। दिल्ली कोर्ट ने ’सुल्ली डील्स’ ऐप बनाने वाले ओंकारेश्वर ठाकुर की जमानत याचिका खारिज की। ओंकारेश्वर के वकीलों की तरफ से दलील दी गई कि आरोपी पर आईपीसी 153A साबित नहीं होता है बल्कि पुलिस मीडिया और सोसाइटी के दबाव में काम कर रही है। इस पर पुलिस की तरफ से दलील दी गई कि आरोपी ने सुल्ली डील्स ऐप बनाकर उसमें मुस्लिम महिलाओं की फोटो डालकर एक कम्युनिटी को बदनाम किया और महिलाओं का अपमान किया, सुल्ली डील्स शब्द अपने आप मे महिलाओं की रेस्पेक्ट के मद्देनजर शर्मनाक शब्द है।
बुल्ली बाई ऐप बनाने वाले आरोपी नीरज बिश्नोई को स्पेशल सेल की IFSO यूनिट ने असम से गिरफ्तार करके कस्टडी ली थी, आरोपी के वकीलों की तरफ से जमानत याचिका लगाई गई और पटियाला हाउस कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जमानत याचिका पर सुनवाई की गई। नीरज बिश्नोई के वकीलों की तरफ से दलील दी गई कि आरोपी 20 साल का लड़का है और उसपर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। वकीलों ने कोर्ट को बताया कि नीरज बिश्नोई बुल्ली बाई ऐप को किसी महिला की बदनामी के मकसद से नही बनाया था और उसके पास से न ही कोई रिकवरी हुई है और न ही उसकी कस्टडी की आगे जरूरत है वो काफी दिनों से न्यायिक हिरासत में है लिहाजा उसे जमानत दे दी जाए।
इसपर स्पेशल सेल की IFSO यूनिट की तरफ से दलील दी गई कि आरोपी ने बुल्ली बाई ऐप बनाई थी और उस पर मुस्लिम महिलाओं की फोटो डालकर ऑक्शन करने की कोशिश की थी, मुस्लिम महिला पत्रकारों और ऐसी मुस्लिम महिलाएं जो सोशल मीडिया पर एक्टिव थी उनकी फोटो डालजर जानबूझ कर ये साजिश रची गई और जिस ट्विटर एकाउंट से ये फोटो शेयर की गई वो सब आरोपी का ही था लिहाजा केस अभी शुरुआती दौर में है ऐसे में जमानत न दी जाए।