भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की गणना देश के उन राजनेताओं में प्रमुखता से होती है जो किसी भी मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करते समय कभी भी अपनी भाषा पर नियंत्रण नहीं खोते। कभी कभी ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश में समाज विरोधी तत्वों ने शिवराज सिंह चौहान की इस सहृदयता, संवेदनशीलता, परदुखकातरता और विनम्रता को उनकी कमजोरी मान लिया है इसलिए विगत कुछ माहों से प्रदेश में आपराधिक गतिविधियों की जैसे बाढ़ सी आ गई है।
चूंकि विगत 10 माहों से राज्य में मुख्य मंत्री पद की बागडोर शिवराज सिंह चौहान के हाथों में ही है इसलिए मुख्यमंत्री यह तर्क देकर अपना बचाव करने की स्थिति में भी नहीं हैं कि आपराधिक तत्वों का यह दुस्साहस पिछली कमलनाथ सरकार की देन है। मुख्यमंत्री को अब यह चिंता सताने लगी है कि अगर उनकी सरकार आपराधिक प्रवृत्ति के समाज विरोधी तत्वों को उन्हीं की भाषा में सबक सिखाने का समय आ गया है इसीलिए शायद मुख्यमंत्री माफियाओं के लिए उस भाषा का करने का फैसला किया जिसने सबको अचरज में डाल दिया। लेकिन उससे बड़े अजरज की बात यह है कि मुख्यमंत्री की उस भाषा का भी अपराधी तत्वों पर कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हाल में ही अपने एक बयान में मुख्य मंत्री चौहान पर परोक्ष चुटकी लेते हुए कहा है कि प्रदेश में माफिया तत्वों के को मुख्यमंत्री द्वारा दी गई चेतावनी महज जुमले बाजी साबित हो रही है। माफिया न तो गड़ रहे हैं,न टंग रहे हैं और न निपट रहे हैं। गौरतलब है कि कमलनाथ का यह बयान आने के एक दिन पूर्व ही माफिया तत्वों द्वारा प्रदेश में दो स्थानों पर सुरक्षा कर्मियों पर प्राणघातक हमलों की वारदातों ने सारे प्रदेश को झकझोर डाला था।
इसमें कोई संदेह नहीं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में किसी भी क्षेत्र में माफिया तत्वों को नेस्तनाबूद करने के लिए दृढ़ संकल्प ले चुके हैं और उनकी इस दृढ़ संकल्प पर संदेह व्यक्त करना भी उचित नहीं होगा परंतुयह सवाल तो स्वाभाविक है कि प्रदेश में माफिया तत्व आखिर इतने दुस्साहसी कैसे हो गए कि मुख्यमंत्री की असाधारण रूप से कठोर चेतावनी से भी किंचित मात्र भी भयभीत नहीं हैं।वे रोज किसी इलाके में नई खौफनाक वारदात को अंजाम देकर सरकार को ‘तुम डाल डाल तो हम पात-पात’ की कहावत की याद करा रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री भी यह समझ पाने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं कि माफिया तत्वों के मन में भय पैदा करने के लिए आखिर कौन सी भाषा का प्रयोग किया जाए ।
मुख्यमंत्री को बिना किसी विलंब के अब यह साबित करना ही होगा कि गरजने वाले बादल कभी बरस भी सकते हैं । अगर उन्होंने अब कोई देरी की तो उनके मजबूत इरादों पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है। फिर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी यह दावा करने से नहीं चूकेंगे कि उनके अंदर माफियाओं पर अंकुश लगाने की इच्छा शक्ति वर्तमान मुख्यमंत्री से कहीं अधिक थी।प्रदेश में जिस तरह रोजाना ही किसी न क्षेत्र से माफिया तत्वों के दुस्साहस की खौफनाक घटनाएं सामने आ रही हैं उससे तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके मन से कानून का भय पूरी तरह समाप्त हो चुका है।यह निःसंदेह चिंता जनक स्थिति है ।
ऐसे में प्रदेश की जनता भी अब यह सोचने पर विवश हो चुकी है कि जब मुख्यमंत्री की चेतावनी का भी माफियाओं पर कोई असर नहीं हो रहा है तो आखिर इस मर्ज का इलाज क्या है। विगत दिनों जिस दिन ग्वालियर में जलालपुर अंडरब्रिज के समीप चंबल नदी ६ ट्रैक्टरों में रेत भरकर लाए रहे माफिया के लोगों को पुलिस द्वारा रोके जाने पर उन्होंने न केवल पुलिस कर्मियों पर गोलियां चलाई बल्कि उन्हें ट्रैक्टर से कुचलने का प्रयास भी किया। अन्ततः पुलिस कर्मियों की प्राण रक्षा हेतु ग्रामीणों ने मोर्चा संभाला और माफिया के लोगों को खदेड़ा। इनमें से ८ लोगों की गिरफ्तारी हो गई। यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि पिछले १५ सालों से सरकार ने चंबल नदी से रेत निकालने पर प्रतिबंध लगा रखा है परंतु रेत माफिया यहां बेखौफ होकर खनन में जुटा रहता है। पिछले कुछ माहों में ग्वालियर, दतिया, श्योपुर और मुरैना में रेत माफिया के लोग यहां उनको रोकने वाले पुलिस और वन विभाग केक्षकर्मचारियों पर हमले का दुस्साहस कर चुके हैं। इसी तरह की एक वारदात देवास जिले की पुंजापुरा रेंज के रतनपुर जंगल क्षेत्र में हुई जहां शिकारियों ने उनका पीछा करने वाले निहत्थे वनरक्षक की गोली मारकर हत्या कर दी।इस वारदात के बाद वन मंत्री विजय शाह ने घोषणा की कि सरकार ने अवैध खनन रोकने के लिए तैनात कर्मचारियों को शस्त्र लाइसेंस प्रदान करने का फैसला किया है।
प्रदेश में माफिया तत्वों के दुस्साहस का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है कि गत दिवस रेत माफिया से जुड़े लोग भिंड में राज्य के नगरीय प्रशासन राज्य मंत्री ओपीएस भदोरिया के मेहगांव स्थित बंगले के बाहर फायरिंग की वारदात को अंजाम देने के बाद भाग निकले यद्यपि पुलिस ने रात में ही आरोपियों को पकड़ने में कामयाबी हासिल कर ली। मध्यप्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में माफिया तत्वों द्वारा पुलिस और वन कर्मियों को लगातार निशाना बनाए जाने से चिंतित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुलिस अधिकारियों को माफिया तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के निर्देश तो दिए हैं परंतु यह स्थिति निःसंदेह चिंता जनक है कि मुख्यमंत्री के इतने सख्त तेवरों के बावजूद माफिया राज बेखौफ होकर सारे प्रदेश में आए दिन सरकार को चुनौती देता नजर आ रहा है।अब तो ऐसा प्रतीत होने रहा है कि माफिया सरगनाओं के लिए मुख्यमंत्री की कठोर से कठोर चेतावनी भी मामूली झिड़की से अधिक कुछ नहीं है।