हरिद्वार। देश में एक बार फिर कोरोना (Covid19) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, संक्रमण से बचाव के बीच सरकार टीकाकरण के योग्य लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए आगे आने की बात कर रहे हैं। इसी क्रम मे पहली बार धर्म प्रचारकों के साथ वर्चुअल वार्ता की गई। पीआईबी उत्तराखंड (PIB Utrakahdn) और यूनिसेफ (UNICEF) के सहयोग से कोरोना अनुरूपी व्यवहार की उपयोगिता और कोरोना टीकाकरण विषय पर आयोजित वर्चुअल सेशन में वैक्सीन से जुड़ी तमान भ्रांतियों और कोविड अनुरूपी व्यवहार का पालन करने की जरूरत पर चर्चा की गई। सेशन में कुंभ मेले (Kumbh Mela) में हरिद्वार (Haridwar)में आने वाली भीड़ और कोरोना संक्रमण से सुरक्षा पर भी विशेषज्ञों ने अपना मत रखा।
देहरादून में परमार्थ निकेतन (Parmatrh Niketan) के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती (Swami Chidanand Saraswati ji) ने कहा कि अब जरूरत सीएसआर(कारपोरेट सोशल रेस्पांसबिलिटी) के साथ ही आरएसआर (रिलिजियस सोशल रेस्पांसबिलिटी) की भी है, कोरोना अनुरूपी व्यवहार का पालन करने के लिए धर्मगुरू लगातार लोगों को संदेश दे रहे हैं। गंगा आरती के बाद रोजाना इस बात का संदेश दिया जाता है कि वायरस अभी गया नहीं है, मास्क का सेवन करें और लगातार हाथ धोते रहे। स्वामी चिदानंद ने कहा कि इस समय मास्क से अपनी नाक ढंकने के साथ ही देश की नाक भी बचाने की जरूरत है, कोरोना के खिलाफ जंग में भारत की विश्वभर में तारीफ की जा रही है, संक्रमण का दोबारा बढ़ना अंतराष्ट्रीय स्तर पर छवि को प्रभावित करेगा। सभी को सरकार का साथ देकर एक बार फिर कोरोना को मात देनी है। कुंभ में गंगा स्नान के लिए हरिद्वार आने वाले लोगों से अपील की जा रही है कि वह संक्रमण से सुरक्षा के मानकों का पालन करें, कुंभ मेले के लिए लगाए गए पिलरों में हर दो पिलर को छोड़ कर तीसरे पिलर पर कोरोना से बचाव के संदेश जारी किए गए हैं।
भारत सरकार की एईएफआई एडवर्स इफेक्ट्स फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन के सलाहकार डॉ. एनके अरोड़ा (Dr N K Arora) ने बताया कि टीका लगने के बाद शरीर में वायरस के प्रतिरोधक शक्ति वाली एंटीबॉडी बनती है, जो वायरस के गंभीर प्रभाव को विकसित नहीं होने देती। टीकाकरण के बाद संक्रमण से बचाव नहीं होता बल्कि यह संक्रमण की गंभीर स्थिति से बचाती है। कुछ लोगों में एनाफायलैक्टिक प्रभाव दिखते हैं, वैक्सीन के बाद खून का थक्का जमने की शिकायत के मामलों का नैकवैग विश्लेष्ण कर रही है। अभी तक के विश्लेषण में इस बात के प्रमाण नहीं मिले हैं कि वैक्सीन खून का थक्का जमाती है। जल्द ही इससे जुड़े अंतिम परिणामों को लोगों के साथ साझा किया जाएगा।
डॉ. एनके अरोड़ा ने बताया कि कुल टीकाकरण में दस प्रतिशत हिस्सेदारी कोवैक्सिन की है जबकि 90 प्रतिशत कोविशील्ड का टीका लगाया गया है। कुल साढ़े आठ करोड़ टीकाकरण में केवल एक करोड़ लोगों को भारत बायोटेक की कोवैक्सिन लगाई गई है। पीआईबी से डॉ. मनीषा वर्मा ने कहा कि टीकाकरण से जुड़ी गलत जानकारियों का प्रचार करने की जगह लोगों को सरकार की वेबसाइट से सही जानकारी हासिल करनी चाहिए। वर्चुअल सेशन में उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग के कोविड सेल के प्रमुख डॉ. एसके गुप्ता ने कोरोना संक्रमण और बचाव संबंधी जानकारी साझा की।