नई दिल्ली। एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद शालिग्राम की मूर्ति या भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने बैठकर उनका ध्यान करते हुए मंत्र ऊं नमो नारायणाय का जप करना चाहिए। इसका कारण है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी को भगवान विष्णु ने शंखासुर का वध कर के शयन किया था इसलिए कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागृत हुए थे।
पंडितों के अनुसार, सभी 24 एकादशी में सबसे महत्वपूर्ण एकादशी है इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस वर्ष देवोत्थान एकादशी 4 नवंबर शुक्रवार को मनाई जाएगी एकादशी तिथि 3 नवंबर रात्रि 8:51 पर लग जायेगी और 4 नवंबर शुक्रवार को 7:02 सायंकाल तक रहेगी सूर्योदय व्यापिनी तिथि को ध्यान में रखकर हरि प्रबोधिनी एकादशी व्रत का मान 4 नवंबर को ही होगा।
मान्यताओं के अनुसार देवोत्थान एकादशी पर जगत के पालनहार की विशेष पूजा करके उन्हें नींद से जगाया जाता है और इसी दिन चातुर्मास व्रत समाप्त हो जाता है और सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह ,मुंडन ,जनेऊ, गृह प्रवेश ,यज्ञ इत्यादि कार्य का प्रारंभ हो जाता है ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक मास में श्रीहरि जल में निवास करते हैं।