दरभंगा। भारत की आजादी के पहले से ही विकास के मामले में बिहार के साथ अन्याय होता रहा है। यदि ऐसा नहीं होता तो आज बिहार में भी अधिक उद्योग- धंधे लगे होते तथा दूसरे जगहों के लोग भी यहां रोजी- रोजगार के लिए आते। भाखड़ा- नांगल परियोजना से पहले बनने वाला कोशी नदी डैम आज तक नहीं बन सका। हमें सकारात्मक रूप से बिहार के विकास पर विचार- विमर्श एवं शोध करना चाहिए। बिहार प्रदेश एवं मिथिलांचल के विकास हेतु हमें राजनीति से ऊपर उठकर काम करना होगा। हमलोग बिहार में उद्योगपतियों एवं व्यापारियों का रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत करने को तैयार हैं। उक्त बातें बिहार सरकार के उद्योग मंत्री समीर महासेठ में ‘मिथिला एंजेल नेटवर्क’ द्वारा मखाना शोध संस्थान, दरभंगा के सभागार में “मिथिला अर्थव्यवस्था : अवसर एवं चुनौती” विषयक संगोष्ठी का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करते हुए कहा।
उद्योग मंत्री ने कहा कि लंबे समय से उपभोक्ता बने रहे बिहार को उत्पादक राज्य बनाना हमारी सरकार का मुख्य लक्ष्य है। आज मिथिला पेंटिंग एवं मखाना आदि देश- विदेश जा रहा है, जिससे धन के साथ ही शोहरत भी मिल रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत 10 लाख रुपए में से मात्र 5 लाख रुपए 4% इंटरेस्ट सहित वापस करने की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें युवाओं, महिलाओं के साथ ही दिव्यांगों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। यह राशि अब मात्र 45 दिनों में ही उद्यमी के खाते में भेज दी जाती है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार उद्योग- व्यापार को बढ़ावा दे रही। राज्य सरकार के बदलते सोच के साथ ही हम मिथिलावासियों को भी अपनी सोच सकारात्मक रूप से बदलने की जरूरत है। हमलोग उद्योग- व्यापार को राजनीति से ऊपर उठकर हर एक व्यक्ति को सम्मान देते हुए इसके लिए आधारभूत सुविधाएं देकर सर जमीन पर लाना चाहते हैं। मंत्री समीर महाशय ने कहा कि हम चुनौती को अवसर में बदलते हुए मिथिला की अर्थव्यवस्था में दिन दूनी रात चौगुनी विकास का प्रयास कर रहे हैं। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की केन्द्र से हमारी पुरानी मांग है।
मुख्य अतिथि के रूप में आर्यभट्ट विश्वविद्यालय, पटना तथा ल ना मिथिला विश्वविद्यालय ,दरभंगा के पूर्व कुलपति डा समरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि मिथिला में शिक्षा एवं स्वास्थ्य के साथ ही कृषि, कला एवं पर्यटन आदि क्षेत्रों में स्टार्टअप की अपार संभावनाएं हैं। जहां एक ओर यहां के 90 % व्यक्ति बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने में सक्षम नहीं हैं, वहीं गुणी युवा यहां से पलायन कर जाते हैं। एकाकी परिवार भी स्टार्टअप में कठिनाई उत्पन्न करता है।
मिथिला विश्वविद्यालय की प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिंहा ने कहा कि कुशलता, पूंजी एवं इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि के साथ ही मेधा- पलायन को रोककर मिथिला देश- विदेश में प्रसिद्धि पा सकता है। आज का युग ज्ञान आधारित उद्योगों का है। युवाओं को स्टार्टअप के लिए प्रशिक्षण की जरुरत है। एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रोद्योगिकी संस्थान, दरभंगा के निदेशक प्रो बिमलेन्दू शेखर झा ने कहा कि कम पूंजी, सामान्य आईडिया तथा छोटे कदमों से प्रारंभ स्टार्टअप भी लोगों को बड़े उद्योगपति एवं व्यापारी बना सकता है। मिथिला में जैविक खेती के क्षेत्र में भी नव स्टार्टअप की काफी संभावना है, क्योंकि उर्वरक एवं कीटनाशक न केवल पर्यावरण को दूषित करते हैं, बल्कि हमारे स्वास्थ को भी बुरी तरह खराब करते हैं। उन्होंने किसानों को बहुफसली खेती की सलाह देते हुए कहा कि एक एकड़ खेत में मछली, मखाना एवं सिंघाड़ा के उत्पादन से सालाना 1.07 लाख आमदनी की जा सकती है।
MAN के विचार सत्र का उद्घाटन करते हुए, "लंबे समय से उपभोक्ता बने रहे बिहार को उत्पादक राज्य बनाना मुख्य लक्ष्य, दरभंगा, मधुबनी और मुजफ्फरपुर को शामिल कर SEZका निर्माण" : माननीय उद्योग मंत्री श्री समीर महासेठ @biharfoundation @samirmahaseth_ @mithilaangels @jalajboy pic.twitter.com/24vPHuySK1
— Madhubani Literature Festival (@MADHUBANILF) May 11, 2023
दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डा संदीप तिवारी ने कहा कि अभी मिथिला में परंपरागत विधि से काम हो रहा है, पर अब नव तकनीकों का प्रयोग अनिवार्य है। उन्होंने अपनी ओर से मिथिला के किसी भी गांव में जाकर लोगों को आवश्यक जानकारी देने एवं जागरुक करने का संकल्प व्यक्ति किया। मखाना शोध संस्थान, दरभंगा के वरीय वैज्ञानिक डा मनोज कुमार ने कहा कि स्टार्ट अप में जहां एक ओर चुनौतियां हैं, वहीं विविध अवसर भी उपलब्ध हैं। 90 प्रतिशत मखाना बिहार में होता है, जिसके गुणों के कारण ही इसकी मांग दिन- प्रतिदिन विश्व स्तर पर बढ़ रहा है। यह मेहनत एवं कुशलता से तैयार किया जाता है, जिसके लिए हमारा केन्द्र हर तरह की सहायता प्रदान करता है। मखाना की अच्छी तैयारी सिर्फ मिथिला के लोग भी कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि आमदनी की दृष्टि से बिहार के किसानों का स्थान देश में 27 वें नंबर पर है, जिनका विकास कृषि एवं उसके उत्पाद पर आधारित उद्योगों के विकास से ही संभव है।
मधुबनी लिटरेचर मैथिली मचान के संस्थापक एवं कार्यक्रम- संयोजक सह संचालक डा सविता झा के कुशल संचालन में आयोजित कार्यक्रम में मनीष, मंजीत, आशा, ईशान एवं डा आर एन चौरसिया सहित 60 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लेकर लाभ उठाया। वहीं रिंकू झा, डा नीरज झा, प्रफूलचन्द, अमित कुमार कश्यप, प्रीति ठाकुर, राघवेन्द्र कुमार, मनीष, मंजीत कुमार चौधरी, उदय नारायण झा तथा अनुप कुमार झा आदि के प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर उद्योग मंत्री एवं अतिथियों ने दिया। आगत अतिथियों का स्वागत मधुबनी खादी निर्मित गमछा व झूला तथा मखाना आदि से किया गया।