नई दिल्ली। दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फिलहाल अंतरिम जमानत नहीं मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर गुरुवार या अगले हफ्ते सुनवाई कर सकता है। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को समाप्त हो चुकी उत्पाद शुल्क नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी। केजरीवाल को पहले दी गई उनकी हिरासत की अवधि समाप्त होने पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश किया गया था। सीबीआई और ईडी के विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने सह-अभियुक्त चनप्रीत सिंह की न्यायिक हिरासत भी 20 मई तक बढ़ा दी। यह आदेश शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी को अरविंद केजरीवाल की चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के साथ मेल खाता है। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि वह केजरीवाल के लिए अंतरिम जमानत के सवाल पर विचार कर सकती है।
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने केजरीवाल के वकील से कहा कि मुख्यमंत्री को अंतरिम जमानत देना इस शर्त के साथ होगा कि वह आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करने से दूर रहेंगे, क्योंकि इससे संभावित रूप से टकराव पैदा हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर चुनाव नहीं होते तो कोई अंतरिम राहत नहीं मिलती, कोर्ट ने कहा कि हम सरकार के कामकाज में बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं चाहते। देश की वित्तीय अपराध से लड़ने वाली एजेंसी ने दिल्ली की शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों के सिलसिले में 21 मार्च को अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया, उनकी पार्टी ने आरोपों से इनकार किया है। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में हैं।
कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं और मौजूदा लोकसभा चुनाव को देखते हुए मौजूदा हालात असाधारण हैं। ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत पर दलीलें सुनने पर आपत्ति जताई और कहा कि हम क्या उदाहरण पेश कर रहे हैं? क्या अन्य लोग मुख्यमंत्री से कम महत्वपूर्ण हैं? एक मुख्यमंत्री के साथ ‘आम आदमी’ से अलग व्यवहार कैसे किया जा सकता है। सिर्फ इसलिए कि वह मुख्यमंत्री हैं।