नई दिल्ली। अस्थामा किसी भी उम्र के लोगों में विकसित हो सकती है लेकिन ज्यादातर बच्चे इस बीमारी से आसानी से प्रभावित हो जाते हैं। इसलिए सांस की इस बीमारी को भूलकर भी नजरअंदाज ना करें क्योंकि लंबे समय तक बीमारी के बने रहने से ये अनियंत्रित हो जाती है जिससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
डॉ. नवनीत सूद, सीनियर कंसल्टेंट,पल्मोनोलॉजी और स्लीप मेडिसिन, धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल, दिल्ली के अनुसार अस्थमा की बीमारी के कई कारण हो सकते हैं। इसके सामान्य कारणों में प्रदूषण के संपर्क में रहना, अधिक धूम्रपान करना, लंबे समय तक रेस्पिरेटरी इनफेक्शन या वायरल संक्रमण से प्रभावित होना, अधिक तनाव और मोटापा जैसे कारण शामिल हैं। यदि आपके परिवार में पहले भी लोग इस बीमारी से प्रभावित रहे हैं तो संभावना है कि आप भी इस बीमारी की चपेट में आ जायें। इसके अलावा यदि आप ऐसी जगह काम करते हैं जहां आपको नियमित रूप से रासायनिक गैस और धुएं के संपर्क में रहना पड़ता है तो भी आप इस बीमारी से प्रभावित हो सकते हैं। अस्थमा की रोकथाम के लिए इस बीमारी के कारणों को समझकर सतर्क रहना आवश्यक है।
अस्थमा के लक्षण सभी व्यक्तियों में एक जैसे नहीं होते हैं। अलग-अलग व्यक्तियों में लक्षण भी अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों के लिए यह एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, जबकि अन्य लोगों के लिए यह एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। सामान्य रूप से इसके लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई होना और सीने में जकड़न महसूस होना जैसे लक्षण आम हैं। इसके अलावा बलगम वाली खांसी, गंभीर स्थिति में खांसी के दौरे आना और सोने में समस्या होना जैसे लक्षण भी महसूस हो सकते हैं, सांस छोड़ते समय घरघराहट होना बच्चों में अस्थमा का एक सामान्य लक्षण है। बीमारी से बचाव के लिए लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है जिससे अस्थमा को सही समय पर नियंत्रित किया जा सके।
अस्थमा की बीमारी को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है लेकिन सावधानी, बचाव और नियंत्रण के माध्यम से इस बीमारी के प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है। सबसे पहले तो अस्थमा से बचाव के लिए अपने आसपास साफ सफाई रखें, धूल, मिट्टी और धुएँ से बचें। फेफड़ों को हेल्दी रखने के लिए नियमित रूप से योग व्यायाम और वॉकिंग के साथ पौष्टिक भोजन को प्राथमिकता दें, अधिक तेल और ठंडी चीजों के सेवन से बचें, धूम्रपान न करें, बाहर मास्क पहनकर निकलें, अधिक भाग दौड़ वाले कामों से बचें, यात्रा के दौरान अपना इनहेलर साथ रखें क्योंकि वे मुख्य उपचार हैं और सुरक्षित हैं, अपनी दवाइयों को सही समय से लें, नियमित रूप से डॉक्टर के संपर्क में रहें। इन सभी सावधानियों और संतुलित जीवन शैली के माध्यम से अस्थमा के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।