दिवाली से पहले ही वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट की आशंका

 

नई दिल्ली। जैसे-जैसे दीपावली का पर्व नजदीक आ रहा है, देशभर में इसके उत्सव की तैयारियां जोर पकड़ती जा रही हैं। लेकिन इस बार, उत्सव के इस माहौल के बीच लोगों को एक समस्या का सामना भी करना पड़ेगा। यह समस्या है- वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर। क्लीन एनर्जी और वायु पर शोध केंद्र ‘क्रेया’ (CREA) के अनुसार, हर साल दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) तेजी से गिरता है, जिसका मुख्य कारण पटाखों के जलने से होने वाला उत्सर्जन है।

पिछले वर्षों में दिवाली के बाद दिल्ली का एक्यूआई गंभीर स्तर तक पहुंचा था। यह 2021 में 462, 2020 में 435 था। इस साल भी दिल्ली का एक्यूआई 304 (बहुत खराब स्तर) तक पहुंच गया है और दिवाली तक इसमें और वृद्धि होने की संभावना है। जब तक कि बारिश जैसी मौसम की महत्वपूर्ण घटनाएं न हों या पटाखों पर सख्त प्रतिबंध और निगरानी न की जाय, एक्यूआई में वृद्धि तय है।

फसल अवशेष जलाने का मौसम भी इस समय वायु प्रदूषण में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। क्रेया की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर के मध्य से लेकर नवंबर के शुरुआती हफ्तों तक पराली जलाने की घटनाएं चरम पर रहती हैं। इस दौरान दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 30% से 40% तक हो सकता है। हालांकि इस साल आग की घटनाओं में कुछ कमी दिखी है, लेकिन यह प्रवृत्ति बनी रहेगी या नहीं, यह देखना बाकी है।

क्रेया ने एक ओपन-सोर्स डैशबोर्ड लॉन्च किया है जो वायु गुणवत्ता पर दैनिक अपडेट प्रदान करेगा, जिससे नागरिकों को प्रदूषण की स्थिति की जानकारी मिल सकेगी और वे अपनी गतिविधियों की योजना बना सकें। यह डैशबोर्ड मास्क पहनने का समय तय करने से लेकर बच्चों को बाहर ले जाने के बारे में निर्णय लेने में मदद करेगा। नीति निर्माताओं और नागरिक अधिकारियों के लिए भी यह डैशबोर्ड उपयोगी साबित हो सकता है, क्योंकि यह उन्हें प्रदूषण स्तरों की जानकारी देकर जन स्वास्थ्य के लिए आवश्यक कदम उठाने में सहायता करेगा।