Breaking News, हो गया तय, भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में होगा गुजरात विधानसभा चुनाव

कहा जा रहा है कि भूपेंद्र पटेल की संघ के कई पदाधिकारियों से अच्छी बनती है। कुछ दिन पहले जब विजय रूपाणी को हटाने की बात चली थी, तो उस समय से ही संभावित नाम को टटोला जा रहा था। बहुत अधिक लाइमलाइट में नहीं रहने वाले भूपेंद्र पटेल को संघ से करीबी का रिश्ता अभी काम आ गया है।

नई दिल्ली। गुजरात की राजनीति में पटेल समुदाय को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। जिस प्रकार से दो दिनों के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने विधायक दल की बैठक के बाद भूपेंद्र पटेल पर दांव खेला है, उससे तो यही लगता है। हाल के दिनों में पाटीदार आंदोलन और युवाओं में हार्दिक पटेल के क्रेज के बाद नई दिल्ली ने भूपेंद्र पटेल को ही सबसे सुरक्षित माना है।

हालांकि, इससे पहले दिल्ली की राजनीतिक गलियारों में नितिन पटेल, मनसुख मांडविया, विजय रूपाला जैसे नेताओं के नाम मुख्यमंत्री बनने के रेस में बताए जा रहे थे। हालांकि, यह तय था कि जो भी मुख्यमंत्री होगा उसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की स्वीकृति मिल चुकी होगी। केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में नरेंद्र सिंह तोमर और तरूण चुघ तो विधायकों से औपचारिकतावश मिले। भाजपा ने जिस भरोसे के साथ गुजरात की कमान भूपेंद्र पटेल को सौंपी है, उस उम्मीद को इन्हें पूरा करना होगा।

बता दें कि पेशे से इंजीनियर भूपेंद्र पटेल को स्थानीय निकायों को बेहतर अनुभव है। राजनीतिक और सामाजिक जीवन में उन्होंने अपनी एक साख बनाई है। पटेल समुदाय के बीच उनकी अच्छी पकड़ है। अब तक किसी विवाद में भी उनका नाम नहीं आया है। देखा जाए तो भूपेंद्र पटेल के लिए आगे का रास्ता इतना आसान नहीं है। राज्य में ढाई दशक से अधिक समय से भाजपा सत्ता में है। युवाओं की एक नई पीढी वोटर के रूप में आ चुकी है। हाल के दिनों में रोजगार की कमी और महंगाई जैसे मुद्दे जनता के मन में है। हार्दिक पटेल ने पाटीदार आंदोलन के बूते कई सवाल सत्ता पक्ष के सामने ला खड़े किए हैं।