कोलकाता। पश्चिम बंगाल में आर.जी. कर अस्पताल विवाद और पश्चिम बंगाल सरकार तथा सीबीआई के बीच खींचतान के बीच अब कांग्रेस ने राजनीति का केंद्र बदलने की कवायद शुरू कर दी है। पार्टी, अधीर रंजन चौधरी के नेतृत्व में गुरुवार को जनता की मांगों को लेकर एक बड़ा आंदोलन करेगी।
कांग्रेस की ओर से इस आंदोलन में 100 दिनों के रोजगार गारंटी योजना के भुगतान में हो रही देरी, लक्ष्मी भंडार योजना के तहत महिलाओं को दी जाने वाली धनराशि को बढ़ाकर 2500 करने और पुजारियों को मासिक भत्ता देने जैसी मांगें प्रमुख होंगी। पार्टी का तर्क है कि यदि झारखंड जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े राज्य में 2500 की राशि दी जा सकती है, तो बंगाल में क्यों नहीं?
यह आंदोलन 30 जनवरी को आयोजित होगा, जिस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। अधीर रंजन चौधरी इस दिन को जनता की आवाज़ बुलंद करने के लिए एक प्रतीकात्मक अवसर मानते हैं।
पांच बार सांसद रह चुके अधीर रंजन चौधरी पिछले लोकसभा चुनाव में अपनी बहुचर्चित सीट बहरमपुर से हार गए थे। इसके बाद, राज्य की राजनीति आर.जी. कर अस्पताल में हुई घटनाओं और तृणमूल कांग्रेस के आंतरिक संघर्षों के इर्द-गिर्द घूम रही है। ऐसे में यह आंदोलन अधीर रंजन की सक्रिय राजनीति में वापसी की तैयारी के तौर पर भी देखा जा रहा है।
कांग्रेस ने तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह मुस्लिम समुदाय को महज वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर रही है। इसके साथ ही इमामों और मोअज्जिमों के भत्ते में वृद्धि की मांग भी उठाई गई है। कांग्रेस ने तृणमूल पर यह भी आरोप लगाया है कि जिला परिषदों में भ्रष्टाचार व्याप्त है और आवंटित धन का सही उपयोग नहीं हो रहा।
कांग्रेस के आंदोलन पर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने मंगलवार को कहा कि ममता बनर्जी केंद्र सरकार से फंड न मिलने के बावजूद राज्य के लोगों के लिए काम कर रही हैं। कांग्रेस का यह आंदोलन महज एक नाटक है, जिसे जनता समझ चुकी है। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव में अधीर रंजन चौधरी तीसरे स्थान पर रहे।