नई दिल्ली। पंजाब में असुंष्ट गुट के नेताओं की बात मानी गई। कांग्रेस नेतृत्व ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा दिया। उसके बाद राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री को हटाने के लिए कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर दबाव बनाया जा रहा है। पार्टी के रणनीतिकार संभवतः इस प्रेशर पॉलिटिक्स को समझ नहीं पाए थे तब। अब नई मुसीबत बन आई है।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हटाने के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट कई बार एड़ी-चोटी का जोर लगा चुके हैं। विधायकों को अलग से कई बैठकें भी हो चुकी हैं। सचिन पायलट शुक्रवार को दिल्ली आकर जब राहुल गांधी से उनके आवास पर मिले, तो यह बात सियासी गलियारों में दोबारा उठ खड़ी हुई। कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत की जगह सचिन को प्रदेश की कमान सौंपी जाए। पायलट की राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से यह मुलाकात पंजाब में हुए नाटकीय घटनाक्रम के कुछ दिन बाद हुई है, जिसमें कांग्रेस ने अमरिंदर सिंह की जगह दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया। पायलट की राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से हुई मुलाकात में क्या चर्चा हुई इसको लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि बैठक में संभावित मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन में फेरबदल पर चर्चा की गई।
इसी प्रकार की राजनीति छत्तीसगढ़ में भी हो रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हटाने के लिए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव लगातार दिल्ली में डेरा डालते हैं। अपने समर्थक विधायकों की रायपुर से दिल्ली तक परेड करवाते हैं। पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को नया मुख्यमंत्री बनाने के बाद दोनों राज्यों के कांग्रेस नेताओं को लगने लगा है कि कांग्रेस नेतृत्व उनकी मांगों पर विचार कर सकता है। टीएस सिंहदेव की ओर से कहा गया है कि जब सरकार बनने वाली थी तब भी मुझे याद है कि 2-3 दिन ऐसा लग रहा था कि कब निर्णय होगा, मुख्यमंत्री कब बनेगा। ये निर्णय हाईकमान बहुत सी बातों का परीक्षण करके लेता है।
अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस नेतृत्व अपने मुख्यमंत्री को हटाकर असुंष्ट गुट के नेताओं को यदि राज्य में सत्ता की कमान सौंपती हैं, तो आने वाले समय में राज्य विधानसभा चुनाव में उसकी क्या स्थिति होगी ?
Congress in Trouble : पंजाब में सीएम बदलते ही कांग्रेस नेतृत्व पर अधिक प्रेशर, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नेता हो गए एक्टिव
पंजाब का प्रयोग क्या राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी होगा ? इन दोनों राज्यों में भी मुख्यमंत्री के खिलाफ अपने ही पार्टी के नेताओं ने मोर्चा खोला हुआ है? क्या कांग्रेस नेत्त्व प्रेशर पॉलिटिक्स में ढेर हो जाएगी या असंतुष्टों को नया टास्क देगी ?