पटना। देश में कोरोना (COVID19) को लेकर भले ही पूरी सतर्कता बरती जा रही हो, लेकिन बिहार सरकार और उसका स्वास्थ्य महकमा आज भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। पुराने ढर्रे पर ही काम हो रहा है। तकनीक का इस्तेमाल कैसे हो, यह भी नहीं उसे पता है। यह सब तब हो रहा है जब वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar)सुशासन बाबू कहलाने पर इतराते हैं।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Mangal Pandey) तो पहले की तरह मस्त ही रहते हैं। कभी भी उनसे बात करें, वो कोरोना को लेकर परेशान नहीं दिखते। यदि वास्तव में परेशान होते तो राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं का सुधारते। नहीं तो जिस व्यक्ति की मेडिकल जांच रिपोर्ट में कोरेाना निगेटिव बताया जाता है, उसी व्यक्ति को बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग अपने रिपोर्ट मेें कोरोना पाॅजिटिव नहीं बताता ????
आप भी कन्फ्यूजन में आ गए। असल में, इ्र सब खेल हो रहल बा बिहार में। आइए, विस्तार से बताते हैं। टीएनबी (TNB) के पास पूरे दस्तावेज हैं कि एक व्यक्ति ने बीमार होने की आशंका मात्र से कोरोना जांच करवाया। जांच रिपोर्ट (RTPCR Test) उसे जो दी गई, उसमें वह निगेटिव है। लेकिन, उसी व्यक्ति का जो विवरण बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के वेवसाइट पर है, उसमें उसे पाॅजिटिव बताया गया है।
बता दें कि बिहार सरकार के वेबसाइट पर इस व्यक्ति का डिटेल दिया गया है – SYS-COV-BI-PTN-20-23243546.
अब सवाल यहां यह उठता है कि यदि यही रवैया चल रहा है तो राज्य में कोरोना संक्रमितों की वास्तविक संख्या और सरकारी संख्या में कैेस मिलान होगा ? यदि निगेटिव को पाॅजिटिव बताया जा रहा है, तो संभव है कि सरकारी व्यवस्था के लोग पाॅजिटिव को निगेटिव भी बता रहे हों। ऐसे में न तो कंटेटमेन जोन बनेगा और न ही संकमितों तक उपचार आदि की सुविधाएं पहुंचेंगी ?