भारतीय इतिहास में अमर है 19 दिसंबर का दिन

नई दिल्ली। 19 दिसम्बर को साधारण तिथि नहीं है। जब हम भारतीय इतिहास की बात करते हैं, तो 19 दिसंबर 1927 वह तारीख है, जिस दिन तीन महान क्रांतिकारियों पं राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को अंग्रेजों ने फांसी थी। इनपर काकोरी कांड का आरोप था। कांकोरी कांड में कुल उन्नीस क्रातिकारियों को सजा मिली थी।

बता दें कि क्रातिकारियों को स्वतंत्रता संघर्ष के लिये हथियारों की जरूरत थी। हथियारों के लिये धन चाहिए था। उन्हें पता चला कि ब्रिटिश सरकार का खजाना 8 डाऊन सहारनपुर एक्सप्रेस से जा रहा है। क्रातिकारियों ने शाहजहाँपुर में बैठक की इसकी अध्यक्षता महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद ने की। खजाना लूटने की योजना बनी। 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के पास काकोरी रेल्वे स्टेशन पर गाड़ी रोककर खजाना लूट लिया गया।

इसमें कुल 19 क्राँतिकारियों को आरोपी बनाया गया। इनमें चार को फाँसी दी गई और 15 को विभिन्न धाराओं में चार वर्ष या इससे अधिक का कारावास की सजा सुनाई गई। जिन क्रातिकारियों को फाँसी दी गई उनमें राजेन्द्र लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह थे। जिन क्रातिकारियों को कारावास की सजा सुनाई गई, उनमें राम दुलारे त्रिवेदी, गोविन्द चरण, योगेश चंद्र चटर्जी, प्रेम कृष्ण खन्ना, मुकुन्दीलाल, विष्णु शरण दुब्लिश, सुरेन्द्र भट्टाचार्य, रामकृष्ण खन्ना, मन्मन्थ नाथ गुप्ता, रामकुमार सिन्हा, प्रणवेश चंद्र चटर्जी, रामनाथ पांडेय और भूपेन्द्र सान्याल थे।

फाँसी के लिये 19 दिसम्बर की तारीख तय हुई। राजेन्द्र लाहिड़ी को निर्धारित तिथि से दो दिन पहले गौडा जेल में फाँसी दे दी गई। पं रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में, अशफाक उल्ला खान को फैजाबाद जेल में और ठाकुर रोशन सिंह को इलाहाबाद जेल में फाँसी दी गई।