नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर में प्रदूषण का खौफ हर साल आता है। इसकी चपेट में बड़ी आबादी आती है। सरकारी स्तर पर कई योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जाता है, लेकिन प्रदूषण कम होने के बाद लोग मानो भूल जाते हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए एक बेहतर रणनीति के साथ काम किया जाए।
विशेषज्ञों के अनुसार एनसीआर में प्रदुषण की बढ़ती समस्या के पीछे एक महत्वपूर्ण वजह है कि आज तक जितने भी कार्यक्रम बने उनका कार्यान्वन या तो आधा-अधूरा रहा या फिर उनकी सुध तभी ली गयी जब जब प्रदुषण का स्तर सारी सीमाओं को पार कर गया|
सेंट्रल पॉलुशन कण्ट्रोल बोर्ड (CPCB) के एक अधिकारी ने एनसीआर में प्रदुषण की समस्या पर अपने विचार रखते हुए बताया, एनसीआर में आने वाली औद्योगिक इकाइयों को PNG से जोड़ने की बात भी कही, ताकि उनके द्वारा कोयला, लकड़ी, डीजल, रबर इत्यादि का उपयोग बंद हो सके| उल्लेखनीय है कि सिर्फ दिल्ली में करीब 1600 ऐसी इकाइयां हैं जो कि वायु प्रदुषण करने वाले ईंधन का उपयोग करती हैं, और हर साल ठण्ड के महीने में जब प्रदुषण सारी सीमाओं को पार कर जाता है, जब सारा सरकारी तंत्र इन पर कार्रवाई करने के लिए आदेश देने लग जाता है|
ऐसा ही एक आदेश कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग (CAQM) द्वारा पिछले साल दिसंबर में दिया गया था| चौंकाने वाली बात यह है कि अभी पिछले ही महीने CAQM ने ऐसा ही मिलता जुलता आदेश फिर से दिया कि वायु प्रदुषण करने वाले सारे औद्योगिक इकाइयों को या तो PNG में बदला जाये या फिर उन पर ताला लगा दिया जाये| CAQM के आदेश के बावजूद वास्तविकता यह है कि दिल्ली के साथ, 100 किलोमीटर की परिधि में ऐसे कई शहर हैं – पलवल, खुर्जा, फरीदाबाद, बुलंदशहर, इत्यादि – जहाँ धड़ल्ले से कोयला, डीज़ल, लकड़ी, रबर इत्यादि का इस्तेमाल हो रहा है|
फिलहाल CAQM द्वारा त्यार किया गया 40 फ्लाइंग स्क्वाड एनसीआर के भिन्न भिन्न औद्योगिक इलाकों में जा कर ऐसी इकाइयों पर कार्रवाई करने में लगा हुआ है जो कि वायु प्रदुषण को बढ़ाने में लगे हुए हैं| बीते एक हफ्ते में इन फ्लाइंग स्क्वाड्स ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में क्रमशः 30, 23, 43 और 15 इकाइयों के बंद भी किया है|
इसी तर्ज़ पर, एनसीआर में प्रदुषण पर लगाम कसने के लिए सारे सार्वजनिक वाहनों को CNG में परिवर्तित करने का निर्देश दिया गया था|