नई दिल्ली। चुनाव आयोग की ओर से दिल्ली नगर निगम चुनाव की घोषणा कर दी गई है। दिल्ली में 4 दिसंबर को नगर निगम के चुनाव होंगे जबकि नतीजे 7 दिसंबर को आएंगे। इसके साथ ही राजनीतिक वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया है। चुनाव तिथि की घोषणा के बाद से ही दिल्ली प्रदेश भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी कार्यालयों में गहमागहमी बढ़ गई। प्रदेश स्तर के बड़े नेता और केंद्रीय नेताओं के आवास पर भी संभावित उम्मीदवारों को देखा जाने लगा है।
मीडिया से बात करते हुए दिल्ली के चुनाव आयुक्त विजय देव ने कहा कि दिल्ली में परिसीमन प्रक्रिया जरूरी थी, ये लंबी प्रक्रिया है। हमने समय सीमा में परिसीमन प्रक्रिया को पूरा किया। मतदान केंद्रों की फिर से रूपरेखा तैयार की गई। दिल्ली नगर निगम के तहत 68 निर्वाचन क्षेत्र हैं, जिनमें 250 वार्ड निर्धारित किए गए हैं।
पहले दिल्ली नगर निगम (MCD) तीन भागों में बंटा था। उत्तरी दिल्ली, दक्षिण दिल्ली और पूर्वी दिल्ली। पिछले 15 साल से तीनों एमसीडी पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। पिछले चुनाव यानी 2017 में नॉर्थ दिल्ली में भाजपा ने 64 वार्डों पर जीत हासिल की थी। आम आदमी पार्टी को 21 और कांग्रेस को 16 वार्डों में जीत मिली थी।
इसी तरह साउथ दिल्ली में भाजपा को 70, आप को 16 और कांग्रेस को 12 वार्डों पर जीत मिली थी। ईस्ट दिल्ली के 47 वार्ड में भाजपा, 12 में आप और तीन पर कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया था। 2012 के चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस का था। तब आम आदमी पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ा था।
इसी साल मई में केंद्र सरकार ने तीनों एमसीडी को मिलाकर एक कर दिया है। मतलब अब दिल्ली में तीन की जगह केवल एक मेयर होगा। पहले के मुकाबले इनकी शक्तियां ज्यादा होंगी। अब एक ही मेयर पूरे दिल्ली की जिम्मेदारी संभालेगा। यही नहीं, परिसीमन बदलने के साथ-साथ वार्डों की संख्या भी कम कर दी गई। पहले उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली में 104-104 पार्षद की सीटें थीं, जबकि पूर्वी दिल्ली में 64 सीटें हुआ करती थीं। इस तरह से पहले नगर निगम की कुल 272 सीटें थीं, जो अब घटकर 250 रह गईं हैं।