नई दिल्ली। डूटा और फेडकुटा के पूर्व अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रभारी डॉ आदित्य नारायण मिश्रा और दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद के सदस्य सीमा दास और राजपाल सिंह पवार ने बिहार के मुख्य मंत्री श्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिख कर बिहार के स्कूल में सालो से पढ़ा रहे लाखों नियोजित शिक्षकों को पंजाब के आप सरकार के तर्ज पर राजकर्मी के रूप में नियमित किए जाने के मांग की। उन्होंने ने 16 मई 2023 के शिक्षा विभाग के उस पत्र को वापिस लिए जानें की मांग की जिस के अनुसार नियमावली 2023 के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने पर कड़ी कारवाई करने का निर्देश दिया गया है। ये तो संविधान द्वारा प्रदान मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। जैसे अभी पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने हजारों नियोजित कर्मचारियों को एक आदेश के द्वारा स्थाई किया है उसी तरह इन लाखों नियोजित स्कूल शिक्षको को स्थाई कर राजकर्मी का दर्जा दिया जाय।
उन्होंने बिहार के शिक्षा विभाग के सोलह मई के पत्र का जोरदार विरोध करते हुए उसे संविधान में प्रदत्त शिक्षको के विरोध प्रदर्शन के मौलिक अधिकार पर गंभीर आक्रमण बताया है। नियमावली 2023 को लेकर लाखो नियोजित शिक्षकों में जो गहरा रोष है उसे उनके संगठनों से बातचीत कर सुलझाए जाने के बजाय प्रदर्शन आदि पर रोक लगाना तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सरासर उल्लंघन है। इन शिक्षको को तो उस समय के सरकार के द्वारा नियमो के तहत ही उनके योग्यता के अनुरूप पंचायती राज और नगर निगमीय संस्थानों के द्वारा किया गया। तत्पश्चात सालो से इन शिक्षको ने ना सिर्फ अध्ययन अध्यापन का कार्य किया बल्कि चुनावों में, जनगणना में और जिला कार्यालयों के प्रशानिक कार्यों मे भी मूल्यवान योगदान करते रहे। अब उनके सालो की सेवा की बाद नियमावली 2823 के तहत राजकर्मी के दर्जा पाने के लिए बिहार प्रशासनिक सेवा आयोग के द्वारा आयोजित परीक्षा में शामिल होने की शर्त लाखो नियोजित स्कूल शिक्षको को असमान प्रतियोगिता में धकेलना है जिसमे उनके सालो के अनुभव के लिए कोई लाभ नहीं दिया गया है। ये सामाजिक न्याय के भी अनुरूप नहीं है।
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली आपं सरकार के उस निर्णय के तरफ ध्यान खींचा है जिसके द्वारा एक सरकारी आदेश से हाजरो नियोजित कर्मचारियों को जिनमे स्कूल शिक्ष्क भी है, को स्थाई किया गया। उन्होंने मांग की पंजाब मॉडल के तर्ज पर ही विहार में भी सालो से पढ़ा रहे स्कूल के शिक्षको को स्थाई कर उनके गरिमा और अधिकारो की रक्षा की जाय।