नई दिल्ली। यूरोपीय संघ (EU) और वस्त्र मंत्रालय ने आज भारत के वस्त्र और हस्तशिल्प उद्योग को सशक्त बनाने के लिए सात नई परियोजनाओं की संयुक्त रूप से शुरुआत की, जो वर्तमान में चल रहे भारत टेक्स के दौरान घोषित की गई। इन परियोजनाओं के लिए यूरोपीय संघ द्वारा 9.5 मिलियन यूरो (लगभग 85.5 करोड़ रुपये) का अनुदान दिया गया है। ये पहल संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में समावेशी विकास, संसाधन दक्षता और स्थिरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ आजीविका और महिला आर्थिक सशक्तिकरण को भी गति देंगी।
इन सात परियोजनाओं को असम, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार और हरियाणा सहित भारत के नौ राज्यों में लागू किया जाएगा। इनसे अगले 3 से 5 वर्षों में 35,000 प्रत्यक्ष लाभार्थियों को लाभ मिलेगा, जिसमें 15,000 एमएसएमई, 5,000 कारीगर और 15,000 किसान-उत्पादक शामिल हैं। चूंकि इनमें से कई परियोजनाएं स्थानीय समुदायों और उद्योगों का समर्थन करेंगी, इसलिए अनुमान है कि लगभग 2 लाख महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाएगा, जिससे वस्त्र क्षेत्र अधिक समावेशी, टिकाऊ और समृद्ध बन सकेगा।
यह परियोजना भारत में स्थिरता और परिपत्र अर्थव्यवस्था पर यूरोपीय संघ की चल रही साझेदारी को और मजबूत करती है और इसे वस्त्र मंत्रालय की “सस्टेनेबल भारत मिशन फॉर टेक्सटाइल्स” के साथ जोड़ा गया है। इस वित्त पोषण का एक हिस्सा यूरोपीय संघ की ग्लोबल गेटवे रणनीति के अंतर्गत आता है और यह ईयू-इंडिया रिसोर्स एफिशिएंसी सर्कुलर इकोनॉमी इनिशिएटिव को भी पूरा करता है, जिसे जर्मन संघीय मंत्रालय (BMUV) द्वारा सह-वित्त पोषित किया गया है और भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ मिलकर GIZ द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
सरकारी एजेंसियों और निजी क्षेत्र के भागीदारों के सहयोग से संचालित इन परियोजनाओं का उद्देश्य भारतीय वस्त्रों की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है, साथ ही नवाचार, प्रतिस्पर्धात्मकता और बाजार संपर्क को बढ़ावा देकर आर्थिक आत्मनिर्भरता को मजबूत करना है। भारत का वस्त्र और परिधान क्षेत्र 45 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है, जिसमें 60% महिलाएं शामिल हैं। हालांकि, इस क्षेत्र में उत्सर्जन, ऊर्जा उपयोग, जल खपत और पुनर्चक्रण के निम्न स्तर जैसी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।
आज के कार्यक्रम में, वस्त्र क्षेत्र में परिपत्र अर्थव्यवस्था और संसाधन दक्षता को बढ़ावा देने के लिए GIZ के सहयोग से तैयार किया गया “टेक्सटाइल्स टूलकिट” भी लॉन्च किया गया।
लॉन्च इवेंट के दौरान, यूरोपीय संघ के भारत में प्रतिनिधिमंडल के मंत्री सलाहकार और सहयोग प्रमुख, श्री फ्रैंक वियॉल्ट ने कहा:
“जबकि वैश्विक स्तर पर फास्ट फैशन का वर्चस्व है, ईयू और भारत दोनों ही वस्त्र उद्योग को अधिक स्थायी बनाने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं। भारत की समृद्ध वस्त्र विरासत को यूरोप सहित पूरी दुनिया में सराहा जाता है। परंपरा को नवाचार और तकनीक के साथ जोड़कर, भारत का वस्त्र क्षेत्र एक स्थायी भविष्य की ओर तेजी से बढ़ सकता है। एक प्रमुख भागीदार के रूप में, ईयू भारत के परिपत्र अर्थव्यवस्था एजेंडे का समर्थन करने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
परियोजनाओं की जानकारी
ये सात नई परियोजनाएं निम्नलिखित संगठनों द्वारा लागू की जाएंगी:
• ह्यूमाना पीपल टू पीपल इंडिया
• डायचे वेल्टहंगरहिल्फे EV
• स्टिफ्टेलसन वार्ल्डस्नेटुरफोंडेन WWF
• प्रोफेशनल असिस्टेंस फॉर डेवलपमेंट एक्शन
• नेटवर्क फॉर एंटरप्राइज एन्हांसमेंट एंड डेवलपमेंट सपोर्ट
• फाउंडेशन फॉर MSME क्लस्टर्स
• इंटेलेकैप एडवाइजरी सर्विसेज प्रा. लि.
ये परियोजनाएं विभिन्न उत्पादों पर केंद्रित होंगी, जैसे कि प्राकृतिक रंगों का उत्पादन और प्रचार, बांस शिल्प, हथकरघा, शॉल, पारंपरिक हस्तशिल्प और वस्त्र, ताकि उत्पादन, ब्रांडिंग और बाजार पहुंच को बढ़ाया जा सके।