नाटो में शामिल हुआ फिनलैंड, रूस को झटका, सुनक ने दी बधाई

फिनलैंड के गठबंधन में शामिल होने वाले आग्रह को मंजूरी देने वाला तुर्किए नाटो का अंतिम देश है। उसने गुरु वार को ऐसा किया। 200 साल से किसी तरह के सैन्य गठबंधन से बचते आए पड़ोसी स्वीडन ने भी नाटो में शामिल होने के लिए आवेदन किया था, लेकिन तुर्किए और हंगरी की आपत्तियों के चलते प्रक्रिया में देरी हो रही है। रूस के साथ फिनलैंड की 1,340 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है।

ब्रसेल्स/ लंदन, 05 अप्रैल (हि. स.)। दुनिया के सबसे बड़े सुरक्षा गठबंधन उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) सूची में मंगलवार को फिनलैंड शामिल हो गया। फिनलैंड के नाटो में शामिल होने को रूस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं ब्रिटेन के राष्ट्रपति सुनक ने फिनलैंड को नाटो में शामिल होने पर बधाई दी है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच नाटो के विस्तार के बड़े रणनीतिक मायने निकाला जा रहा है।

फिनलैंड दस्तावेजों को सौंपने के साथ ही नॉर्डिक राष्ट्र आधिकारिक तौर पर दुनिया के सबसे बड़े सुरक्षा गठबंधन का सदस्य बन गया। फिनलैंड की सदस्यता यूरोप के सुरक्षा परिदृश्य में एक बड़े बदलाव का प्रतिनिधित्व करती है। दूसरे विश्वयुद्ध में सोवियत संघ से अपनी हार के बाद इस देश ने तटस्थता अपनाई थी, लेकिन इसके नेताओं ने यूक्रेन पर मॉस्को के आक्रमण के कुछ महीने बाद ही संकेत दिया था कि वे नाटो गठबंधन में शामिल होना चाहते हैं।

यह कदम रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए रणनीतिक और राजनीतिक रूप से झटका है। वह लंबे अरसे से शिकायत करते आए हैं कि नाटो रूस की ओर विस्तार कर रहा है। वहीं, गठबंधन का कहना है कि इससे मॉस्को को कोई खतरा नहीं है।ॉरूस ने चेतावनी दी कि फऩिलैंड की नाटो की सदस्यता से उत्पन्न सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए उसे प्रतिशोधी उपाय करने के लिए विवश होना पड़ेगा। मॉस्को ने यह भी कहा है कि अगर नाटो अपने 31वें सदस्य राष्ट्र के क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिक या उपकरण तैनात करेगा, तो वह फिनलैंड की सीमा के पास अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत करेगा। फिनलैंड के विदेश मंत्री द्वारा अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को दस्तावेज़ सौंपे जाने के बाद नाटो की सदस्यता आधिकारिक हो गई।
नाटो की सदस्यता से संबंधित दस्तावेज अमेरिकी विदेश विभाग के पास रहते हैं। ऐतिहासिक प्रक्रिया के पूरा होने से पहले नाटो महासचिव जनरल जेन स्टोलटेनबर्ग ने ब्रसेल्स में नाटो मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि फिनलैंड की सहमति के बिना फिनलैंड में और नाटो सैनिक नहीं भेजे जाएंगे। संबंधित घटनाक्रम नाटो की 74वीं वर्षगांठ के दिन हुआ। चार अप्रैल 1949 को ही नाटो की स्थापना के लिए वाशिंगटन संधि पर हस्ताक्षर हुए थे।

इस बीच, फिनलैंड की संसद ने कहा कि उसकी वेबसाइट पर एक हमला हुआ, जिससे साइट का उपयोग करना कठिन हो गया। रूस समर्थक हैकर समूह नोनेम057 (16) ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह हमला फऩिलैंड के नाटो में शामिल होने का प्रतिशोध है।