वैक्सीन लगवाएं और कोरोना पर विजयी पाएं: डाॅ एनके अरोड़ा

जब सबसे कम संक्रमण हो उस समय वायरस कम शक्तिशाली होता है या कमजोर स्थिति में होता है, इस समय यदि हम टीकाकरण अच्छी तरह करें तो वायरस के दोबारा मजबूत होने या सिर उठाने की संभावना कम हो जाती है। इस तरह का सबसे अच्छा अनुभव हमारा पोलियो वायरस के संदर्भ में रहा है।

यह सुखद संकेत है कि देश में कोरोना संक्रमण की संख्या कम हो रही है। वैक्सीन लगाने के लिए लोग आ रहे हैं। टीकाकरण अभियान जारी है। लोगों के मन में कई प्रकार के सवाल आज भी हैं। इन्हीं सवालों को लेकर हमने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद आईसीएमआर के सलाहकार और वैक्सीन एक्सपर्ट डॉ. एनके अरोड़ा से बात की। पेश है उस बातचीत के प्रमुख अंश:

कोरोना के मामले कम हो रहे है तो वैक्सीन लगवाने की जरूरत ही क्या है?

लोगों के मन में यह विचार आ रहा है कि अब तो कोरोना के मामले कम हो रहे हैं। सितंबर में रोजाना एक लाख मरीज आ रहे थे, अब हफ्ते में दस से बारह हजार मरीज ही आ रहे हैं। तो अब टीकाकरण की क्या जरूरत है? यहां मैं यह कहना चाहूँगा कि कोरोना वायरस का संक्रमण एक तरह की वेव या तरंग रूप में है, कभी यह बहुत ऊपर चला जाता है और फिर कुछ समय के साथ नीचे आने लगता है। यह बदलाव कभी महीनों में होता है और कभी सालों में देख जाता है। हर एक वायरस का ऐसा अलग ही तरह का व्यवहार होता है। इसमें समझने वाली बात यह है कि जब सबसे कम संक्रमण हो उस समय वायरस कम शक्तिशाली होता है या कमजोर स्थिति में होता है, इस समय यदि हम टीकाकरण अच्छी तरह करें तो वायरस के दोबारा मजबूत होने या सिर उठाने की संभावना कम हो जाती है। इस तरह का सबसे अच्छा अनुभव हमारा पोलियो वायरस के संदर्भ में रहा है। पोलियो का टीकाकरण अभियान एनआईडी द्वारा जनवरी, फरवरी और मार्च महीने में किया जाता है क्योंकि उस समय पोलियो का संक्रमण सबसे नीचले या कमजोर स्थिति में होता है। इस समय टीकाकरण करने से आने वाले समय में पोलियो संक्रमण को रोका जाता है। तीसरी सबसे अहम बात जैसा कि हम देख रहे हैं कि वायरस बहरूपिया है और अपना स्वरूप बदल रहा है तो अगर मैंने उसकी कमजोर स्थिति में ही अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन दे दिया तो वायरस को म्यूटेट करने के लिए लोग ही नहीं मिलेंगे और संक्रमण की चेन टोड़ने में हम कारगर होगें। इस तीन वजह से टीकाकरण बहुत जरूरी है।

सितंबर में कोरोना हो चुका है, क्या मुझे कोरोना का वैक्सीन लगवाना है?

आपका यह सवाल कि सितंबर में आपको कोरोना हुआ था और अब आपको टीका लगवाना है या नहीं ? मेरा जवाब है उन्हें वैक्सीन जरूर लगवाना है। हमने भारत देश में देखा है कि जिनको कोविड होता है उनमें लगभग एक तिहाई लोगों में प्रतिरोधक क्षमता वाली एंटीबॉडी पैदा नहीं होती है, और अगर एक बार एंटीबॉडी पैदा भी हुई तो वह कितने दिन चलेगी, इसका भी अभी अंदाजा नहीं है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप वैक्सीन की दोनों डोज लगवाइए, जिससे आप पूर्ण रूप से सुरक्षित रह सके। एक बात मैं और कहना चाहूंगा कि अगर कुछ लोगों में हाल ही की आरटीपीसीआर रिपोर्ट में कोरोना पॉजिटिव आया है तो जब तक आपके लक्षण ठीक नहीं हो जाते तब तक चार से आठ हफ्ते तक का इंतजार करें उसके बाद दोनों टीके लगवाएं।

कोमोरबिटिज बीमारी के बारे में ज्यादातर लोग सवाल करते हैं आपका क्या कहना है?

बहुत सारे लोगों के मन में यह सवाल कि अगर उन्हें किसी भी तरह की अन्य बिमारियों जैसे डायबिटीज, दिल या फेफड़े की बीमारी है तो क्या उनको वैक्सीन लेना चाहिए। यहां मैं यह कहना चाहूँगा कि पहली बात कि यह देखा गया है कि जिन व्यक्तियों को इस तरह की बीमारियां है और उन्हें कोरोना का संक्रमण हो जाएं तो ऐसे लोगों की मृत्यु या फिर आईसीयू में भर्ती करने की संभावना पन्द्रह से बीस गुना बढ़ जाती है। दूसरी बात यह कि पचास साल से अधिक उम्र के या फिर कोई भी उम्र हो और यह सभी परेशानी हो तो इन सबको यह वैक्सीन दी जा सकती है। इन सबके बीच यह जरूरी है कि आप अपनी जो भी दवाइयाँ बीमारी की ले रहे हैं उन्हे लेते रहिए, उससे इस वैक्सीन में कोई भी दिक्कत नहीं होती है। यहां पर एक सवाल बार बार उठता है कि अगर कोई व्यक्ति खून पतला करने की दवाइयाँ ले रहा है तोह वह वैक्सीन ले सकता है या नहीं, जवाब है कुछ बीमारियों के लिए खून पतला करने की दवाएँ दी जाती है इसमें कोई परेशानी नहीं है। वैक्सीन देते समय बहुत पतली सूई प्रयोग की जाती है। लेकिन यह जरूरी है कि वैक्सीन लेते समय आप अपने टीकाकरण अधिकारी को इस बात की जानकारी जरूर दे दें कि मैं यह खून पतला करने की दवा ले रहा हूं, और जब आधा घंटा इंतजार कर रहे हैं तो यह देखिए कि जहां पर वैक्सीन दी गई है वहां कुछ नीलापन तो नहीं हो गया है। इसकी जानकारी देने के बाद उचित इलाज दिया जा सकता है। जिन लोगों को पहले से ही अस्थमा या सांस संबंधी कोई बीमारी है तो उन व्यक्तियों को भी कोरोना का वैक्सीन जरूर लगवाना चाहिए।

आपने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज ली थी, और अब दूसरी डोज का भी समय आ गया है, इस दौरान आपका किस तरह का अनुभव रहा?

आपका यह सवाल बहुत सुंदर सवाल है। तो मैं आपको यह बताना चाहूँगा कि मैने अपना पहला टीका 16 जनवरी को लिया था अब दूसरा टीका मुझे 13 फरवरी को लगेगा। जब तक वैक्सीन की दोनों डोज लेने का कोर्स पूरा नहीं हो साथ ही उसके पन्द्रह दिन बाद पूरे होने के बाद ही हम संक्रमण से सुरक्षित हो सकते हैं। लेकिन इसके साथ यह भी जरूरी है कि जो कोरोना अनुरूपी व्यवहार है, उनका भी पालन करना है जैसे मास्क लगाकर रखना है, निर्धारित दूरी बनाकर रखनी है, बार बार हाथ धोने हैं। जिन्होंने कोरोना का वैक्सीन लगावाया है और कोर्स पूरा कर लिया है वह तो संक्रमण से सुरक्षित रहेंगें लेकिन अपने परिवार, दोस्तों और परिजनों को सुरक्षित रखने के लिए मुझे कोरोना अनुरूपी व्यवहार का पालन करना है, क्योंकि वायरस मुझ पर यदि हमला करेगा तो मैं तो सुरक्षित रहूंगा क्योंकि मैने वैक्सीन ले रखा है लेकिन मुझसे यह संक्रमण अन्य किसी को प्रभावित कर सकता है।

क्या दिल्ली में हर्ड इम्यूनिटी वाली स्थिति है और हर्ड इम्यूनिटी क्या है?

बहुत सारे लोगों का यह कहना है अब जैसे दिल्ली में पचास प्रतिशत लोगों को कोरोना का संक्रमण हो चुका है तो क्या हम उस स्थिति में पहुंच चुके हैं कि हमें वैक्सीन की जरूरत नहीं है। हाल ही में कुछ देशों में यह देखा गया कि कोरोना संक्रमण के बाद 76 प्रतिशत हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त करने के बाद भी चार हफ्ते में उन देशों में तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ गया। हर्ड इम्यूटिनी के बारे में अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। इसलिए जिन्हें कोरोना संक्रमण हो चुका है उन्हें भी वैक्सीन की दोनों डोज लगवानी चाहिए। हमारा यह कर्तव्य है कि हम कोरोना संक्रमण के गंभीर प्रभाव से खुद और समाज को सुरक्षित रख सकें।

प्रस्तुति: सुभाष चन्द्र