नई दिल्ली। गोवा की राजनीति में फिर से हलचल तेज हो गई है। विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कयासों का दौर जारी है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ? निवर्तमान मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत दिल्ली के संपर्क में बताए जाते हैं। उसके बीच ही जैसे ही विश्वजीत राणे ने राज्यपाल से मुलाकात हुई, उसके बाद गोवा में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। माना जा रहा है कि प्रमोद सावंत की जगह राणे मुख्यमंत्री पद का चेहरा हो सकते हैं।
इस संबंध में जब विश्वजीत राणे से सवाल किया गया, तो उन्होंने राज्यपाल के साथ अपनी इस इस मुलाकात को बेहद निजी बताया है। हालांकि, राजनीतिक जानकार इसे गंभीरता से ले रहे हैं। वरिष्ठ नेता मनोहर पर्रिकर के निधन बाद भाजपा नेता विश्वजीत राणे भी सीएम पद के दावेदारों में शुमार था। हालांकि, भाजपा आलाकमान ने राज्य की जिम्मेदारी प्रमोद सावंत को सौंपी, लेकिन इस बार चुनाव परिणाम आते ही राणे की राज्यपाल से मुलाकात ने भीतरघाने दाल में कुछ काला होने के संकेत दे दिए हैं।
प्रमोद सावंत 666 वोट से अपनी सीट जीते हैं। वहीं बीजेपी के अंदर काफी दिनों से चल रहा एक बड़ा नाम विश्वजीत राणे का है। विश्वजीत राणे 8 हजार से ज्यादा वोटों से अपनी सीट जीते हैं। उनकी पत्नी दिव्या राणे भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीती हैं। नतीजों से पहले ही बीजेपी के अंदर इसकी चर्चा थी कि बहुमत न मिलने की स्थिति में विश्वजीत राणे बड़ा रोल निभा सकते हैं।
पणजी सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते बाबुश मोनसराटे ने कहना शुरू कर दिया है कि बीजेपी के भीतर के ही कुछ लोगों ने उनकी जीत के लिए कुछ काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि वह अपनी जीत के अंतर से खुश नहीं हैं, साथ ही यह भी जोड़ा कि ये जीत उनके अपने कार्यकर्ताओं की बदौलत मिली है। माना जा रहा है कि बाबुश इसके जरिए अपनी ताकत का अहसास करना चाहते हैं, जिससे सरकार में उन्हें अच्छा पोर्टफोलियो मिले। बाबुश ने बीजेपी के सीनियर नेता रहे मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर को हराया है। उत्पल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था।
गोवा विधानसभा चुनावों में भले ही भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो, लेकिन इसे भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। भारतीय जनता पार्टी को 20 सीटें प्राप्त हुईं और वह बहुमत से एक सीट पीछे रह गई। हालांकि, भाजपा की ओर से दावा किया गया है कि उसे तीन निर्दलीय और एमजीपी का समर्थन मिला है।