पंज प्यारे पर टिप्पणी के बाद बुरे फंसे हरीश रावत, अब करेंगे सेवा

सिख परंपरा में ‘पंज प्यारे’ संबोधन गुरु के पांच प्यारों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह और उनके पांच अनुयायियों से जुड़ा हुआ है। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत अपने अध्यक्षों को पंज प्यारे कहकर गलती कर गए। अब इसके लिए प्रायश्चित करेंगे।

अमृतसर। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत इन दिनों सियासी मुश्किलों का सामना कर रहे थे कि वे धार्मिक मामले में भी उलझ गए। पंज प्यारे पर उनकी टिप्पणी से बवाल शुरू हुआ। कुछ देर बात उन्हांने सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दी कि वे इसके लिए अब गुरूद्वारे में सेवा देंगे। रावत ने बुधवार को अपने फेसबुक पृष्ठ पर ‘पंज प्यारे’ टिप्पणी के लिए अपनी ‘गलती’ स्वीकार की। रावत ने लिखा, ‘‘कभी कभी सम्मान जाहिर करने के लिए आप ऐसे शब्द का इस्तेमाल कर जाते हैं जिन पर आपत्ति उठ सकती है। मैंने भी अपने माननीय अध्यक्ष एवं चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए ‘पंज प्यारे’ शब्द का इस्तेमाल कर गलती की है।’’ उन्होंने कहा कि वह अपने राज्य उत्तराखंड में गुरुद्वारे में सफाई कर अपनी इस गलती का प्रायश्चित करेंगे।

असल में, हरीश रावत मंगलवार को चंडीगढ़ आए थे और उन्होंने पंजाब कांग्रेस भवन में बैठक के बाद, राज्य के कांग्रेस प्रमुख एवं चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए ‘पंज प्यारे’ शब्द का उपयोग किया था।

फिर क्या था ? उसके बाद बवाल शुरू हो गया। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने रावत की टिप्पणी पर आपत्ति जताई थी और इसके लिए माफी की मांग की थी। शिअद नेता दलजीत सिंह चीमा ने रावत की टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की थी और मांग की थी कि लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए राज्य सरकार को उनके खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए।