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एचसीएलफाउंडेशन ने ग्रामीण भारत में जल और जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए एचसीएलटेक ग्रांट का विस्तार किया

 

 

नोएडा। भारत की ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनी एचसीएलटेक के कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी ने अपने प्रमुख कार्यक्रम एचसीएलटेक ग्रांट के लिए बजट बढ़ाकर ₹24 करोड़ कर दिया है। यह पहल देश के ग्रामीण इलाकों में काम कर रहे एनजीओ को मदद देती है ताकि वे समाज के लिए बेहतर काम कर सकें।
अब से, एचसीएलटेक ग्रांट में एक नई श्रेणी ‘जल’ जोड़ी गई है, और ‘पर्यावरण’ श्रेणी की जगह अब ‘जैव विविधता’ श्रेणी रहेगी। शिक्षा और स्वास्थ्य की श्रेणियाँ पहले की तरह जारी रहेंगी।
हर श्रेणी में जो एनजीओ पहले स्थान पर रहेगा, उसे चार साल के लिए ₹5 करोड़ की मदद मिलेगी। इसके अलावा, आठ दूसरे एनजीओ को दो साल के लिए ₹50 लाख की राशि दी जाएगी। इस बार कुल ₹24 करोड़ की सहायता दी जाएगी, जो पिछले साल ₹16.5 करोड़ थी।
जल श्रेणी उन परियोजनाओं को मदद देगी जो पानी बचाने, सही तरीके से इस्तेमाल करने और ग्रामीण इलाकों में जल संकट को दूर करने के लिए काम करती हैं। जैव विविधता श्रेणी ऐसे कामों को बढ़ावा देगी जो पेड़-पौधों और जानवरों की विविधता को बचाने और बढ़ाने में मदद करें।
यह नई पहल उन परियोजनाओं का समर्थन करेगी जो पानी से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को हल करने का काम करती हैं, जैसे पानी का संरक्षण, उसका सही तरीके से उपयोग और टिकाऊ उपाय अपनाना। पानी से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन (NGOs) इसमें फंडिंग और मदद पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
डॉ. निधि पुंधीर, जो एचसीएलफाउंडेशन की निदेशक हैं, ने कहा:
पानी एक कीमती संसाधन है और भारत में पानी की कमी को कम करने के लिए इसका जिम्मेदारी से प्रबंधन करना बेहद जरूरी है। इस नई पहल के माध्यम से, एचसीएलफाउंडेशन पानी के संरक्षण पर काम करने वाले नवाचारपूर्ण प्रोजेक्ट्स में एनजीओ के साथ साझेदारी करना चाहता है। साथ ही, पूरे देश में जैव विविधता को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है। इसलिए, एचसीएलटेक ग्रांट में दो नए विषय – पानी और जैव विविधता – शामिल किए गए हैं, जबकि शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी पहले की तरह ध्यान दिया जाएगा। कुल फंड में की गई बढ़ोतरी, एचसीएलफाउंडेशन की राष्ट्र निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता को और मज़बूती देती है।
अब तक, एचसीएलटेक ग्रांट के ज़रिए ₹152.8 करोड़ की मदद दी जा चुकी है। इससे 22 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 142 ज़िलों में 59 परियोजनाएं चल रही हैं।
इस साल ग्रांट का 11वाँ संस्करण है, और यह पिछले 10 सफल वर्षों की मेहनत का नतीजा है। इस बार मदद की रकम भी बढ़ी है और ज़्यादा एनजीओ को मौका मिलेगा। आवेदन पोर्टल खुल गया है, हेल्प डेस्क काम कर रहे हैं, और जल्द ही देशभर में कई जगहों पर सेमिनार और बैठकों का आयोजन किया जाएगा।