Election 2021 : मनमोहन सिंह का केंद्र सरकार पर प्रहार, गलत नीतियों के कारण बढी बेरोजगारी

पूर्व प्रधानमंत्री डाॅक्टर मनमोहन सिंह ने कहा है कि उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में यह योजना पेश की गई थी, जिसका उद्देश्य गरीबों को प्रत्यक्ष नकद अंतरण (सीधे उनके बैंक खाते में पैसे) उपलब्ध कराना है।

तिरूवनंतपुरम। देश में कोरोना के साथ ही महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा उठने लगा है। लोगों को रोजगार चाहिए। महंगाई को लेकर कई स्थानों पर प्रदर्शन होना शुरू हो गया। चुनावी राज्यों में कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा बना रही है। इसके बीच पूर्व प्रधानमंत्री डाॅक्टर मनमोहन सिंह ने केंद्र की भाजपा सरकार पर बडा प्रहार किया है। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। लोगों की नौकरी चली गई है।

असल में, आर्थिक विषयों के ‘थिंक टैंक’ राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज द्वारा डिजिटल माध्यम से आयोजित एक विकास सम्मेलन का उदघाटन करते हुए सिंह ने कहा कि बढ़ते वित्तीय संकट को छिपाने के लिए भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा किये गए अस्थायी उपाय के चलते आसन्न कर्ज संकट से छोटे और मंझोले (उद्योग) क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं और इस स्थिति की हम अनदेखी नहीं कर सकते हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री डाॅक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि 2016 में भाजपा नीत सरकार द्वारा ‘‘बगैर सोच-विचार के लिए गए नोटबंदी के फैसले’’ के चलते देश में बेरोजगारी चरम पर है और अनौपचारिक क्षेत्र खस्ताहाल है। उन्होंने राज्यों से नियमित रूप से परामर्श नहीं करने को लेकर भी केंद्र की (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की।

बता दें कि सम्मेलन का आयोजन एक दृष्टि पत्र पेश करने के लिए किया गया, जो केरल में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के विकास पर विचारों का एक प्रारूप है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘संघवाद और राज्यों के साथ नियमित परामर्श भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीतिक दर्शन का आधार स्तंभ है, जो संविधान में निहित है, लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार ने इससे मुंह मोड़ लिया है।’’

मनमोहन सिंह ने कहा कि हालांकि केरल के सामाजिक मानदंड उच्च हैं, लेकिन ऐसे अन्य क्षेत्र भी हैं जिन पर भविष्य में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘आगे कई अड़चनें हैं, जिन्हें राज्य को पार करना होगा। पिछले दो-तीन साल में वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती (कोविड-19) महामारी के चलते और बढ़ गई है, जिसका केरल पर भी प्रभाव पड़ा है। ’’ सिंह ने कहा, ‘‘डिजिटल माध्यमों के उपयोग बढ़ने से आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) क्षेत्र अपनी रफ्तार कायम रख सकता है, लेकिन पर्यटन क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और केरल में महामारी ने इस क्षेत्र(पर्यटन) को काफी प्रभावित किया है।’’

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबों की मदद करने के लिए इस तरह की योजनाएं अर्थव्यवस्था को भी एक झटके में चालू कर देगीं क्योंकि इनसे मांग पैदा होगी, जिससे अधिक उत्पादन होगा, खासतौर पर छोटे एवं सूक्ष्म उद्योग क्षेत्र में, कृषि क्षेत्र में और असंगठित क्षेत्र में…इसके परिणामस्वरूप रोजगार के अधिक अवसर सृजित होंगे और राष्ट्रीय स्तर पर लंबी आर्थिक सुस्ती के बाद अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौटने लगेगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 1991 में वित्त मंत्री के तौर पर राष्ट्रीय बजट पेश करते हुए विक्टर हुगो को उद्धृत करते हुए कहा था कि ‘एक विचार से ज्यादा ताकतवर कोई चीज नहीं है…’ मुझे यह अभास हो रहा है कि यूडीएफ ने जो आगे की स्पष्ट राह दिखाई है, वह केरल को सही दिशा में ले जाएगी।’’