नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र और सांसद कार्ति चिदंबरम ने भ्रष्टाचार के एक नये मामले में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कार्ति चिदंबरम के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मुताबिक शराब निर्माता कंपनी डियेगो स्कॉटलैंड एंड सिक्वोइया कैपिटल्स ने एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड को संदिग्ध रूप से फंड का ट्रांसफर किया।
इस मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कार्ति चिदंबरम को राहत देते हुए सीबीआई को निर्देश दिया था कि वो कार्ति चिदंबरम को गिरफ्तार करने से तीन दिन पहले नोटिस देगी। एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड का नियंत्रण कार्ति चिदंबरम और उनके सहयोगी एस भास्कर रमण करते हैं। एफआईआर के मुताबिक भारत में आयात शुल्क मुक्त शराब पर पूरा नियंत्रण इंडिया टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन (आईटीडीसी) का है। आईटीडीसी ने डिएगो समूह के भारत में आयात शुल्क शराब पर रोक लगा रखी है। डिएगो समूह ने शराब पर रोक हटाने के लिए कार्ति चिदंबरम से संपर्क किया और 15 हजार अमेरिकी डॉलर एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग को ट्रांसफर किया। पैसे ट्रांसफर करने के लिए डिएगो स्कॉटलैंड ने कार्तिक की कंपनी से एक फर्जी करार किया।
एफआईआर में कहा गया है कि कार्ति चिदंबरम को ये पैसे डिएगो स्कॉटलैंड के शराब पर लगी रोक को हटाने के लिए इसलिए दिया गया था, क्योंकि वो प्रभावशाली लोकसेवक हैं। ये रकम किसी कंसल्टेंसी कार्य के लिए नहीं दी गई थी। यह एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 420, 471 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 8,9 और 13(1)(डी) के तहत दर्ज की गई थी।