NFHS Report : छत्तीसगढ़ में मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य में हुआ सुधार

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे पांच की रिपोर्ट की गई जारी। संस्थागत प्रसव का प्रतिशत बढ़ा, स्वास्थ्य रक्षा भी हुई दुरूस्त। 18 साल से पहले शादी का प्रतिशत पहले 21.3 था अब यह आंकड़ा 12.1 प्रतिशत हो गया है। इसका मतलब बाल विवाह पर प्रतिबंध का असर हुआ है।

नई दिल्ली। महिला एवं शिशु स्वास्थ्य रक्षा के संदर्भ में छत्तीसगढ़ के आंकड़े काफी संतोषजनक हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण पांच के अनुसार राज्य में महिला स्वास्थ्य एवं शिशु रक्षा पहले की अपेक्षा बेहतर हुई है। संस्थागत प्रसव पर महिलाओं का विश्वास बढ़ा है, फैमिली हेल्थ सर्वे चार में जहां राज्य में केवल 55.9 प्रतिशत महिलाओं ने संस्थागत प्रसव कराया वहीं फैमिली हेल्थ सर्वे पांच में यह बढ़कर 70 प्रतिशत हो गया है। संस्थागत प्रसव में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी का मतलब है कि अब निजी अस्पताल या दाइयों द्वारा घर पर प्रसव कराने की जगह महिलाएं सरकारी संस्थानों पर प्रसव के लिए पंजीकरण अधिक करा रही हैं।
छत्तीसगढ़ के कई जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए पहले कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां ऐसी जगहों पर टीकाकरण करने के लिए अकसर नहीं पहुंच पाती थीं, जो नक्सल प्रभावित होते थे या फिर जहां लोगों का सहयोग सरकारी योजनाओं के लिए नहीं मिल पाता था। लेकिन नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण पांच की रिपोर्ट में राज्य की सकारात्मक तस्वीर सामने आई है। राज्य में महिलाओं का भरोसा सरकारी स्वास्थ्य सेवा पर पहले की अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ा है। चौथे नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण में जहां केवल 55.9 प्रतिशत महिलाएं सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव के लिए खुद को पंजीकृत कराती थीं वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 70 प्रतिशत हो गया है। गर्भधारण के दौरान महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति पहले से कहीं अधिक संजिदा हुई हैं। गर्भधारण के पहले हफ्ते से आयरन फोलिक एसिड का प्रयोग गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। पहले राज्य में केवल 9.5 प्रतिशत गर्भधारण के 180 या इससे अधिक दिन तक फोलिक एसिड का प्रयोग करती थीं जबकि यह आंकड़ा अब बढ़कर 26.3 प्रतिशत हो गया है। गर्भवती महिलाओं का प्रसव अब अधिक बेहतर विशेषज्ञों के संरक्षण में होता है, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण चार में 78 प्रतिशत प्रसव कुशल चिकित्सकों की निगरानी में किया जाता था वहीं एनएफएचएस पांच में इसका प्रतिशत बढ़कर 88.8 प्रतिशत हो गया है।
मालूम हो कि कोविड महामारी की वजह से इस बार नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण को दो चरणों में जारी किया गया है। पहले चरण में चरण- दो में 17 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का सर्वेक्षण किया गया। जबकि दूसरे चरण के आंकड़े बुधवार को जारी किए गए। एनएफएचएस-5 सर्वेक्षण कार्य देश के 707 जिलों (मार्च 2017 तक) के लगभग 6.1 लाख नमूना परिवारों में किया गया है, जिसमें जिला स्तर तक अलग-अलग अनुमान प्रदान करने के लिए 724,115 महिलाओं और 101,839 पुरुषों को शामिल किया गया। छत्तीसगढ़ में यह सर्वेक्षण 24,550 हाउसहोल्ड पर किया गया। जिसमें 48468 महिलाएं तथा 4174 पुरूष शामिल किए गए।