नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों का ये संयुक्त सम्मेलन हमारी संवैधानिक खूबसूरती का सजीव चित्ररण है। हमारे देश में जहां एक ओर ज्यूडिशरी की भूमिका का संविधान संरक्षक की है वहीं विधान मंडल नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। 2015 में हमने करीब 1800 ऐसे क़ानूनों को चिन्हित किया था जो अप्रासंगिक हो चुके थे। इनमें से जो केंद्र के कानून थे, ऐसे 1450 क़ानूनों को हमने खत्म किया। लेकिन राज्यों की तरफ से केवल 75 कानून ही खत्म किए गए हैं।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि 2047 में जब देश अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय व्यवस्था देखना चाहेंगे? हम किस तरह अपने न्याय व्यवस्था को इतना समर्थ बनाएँ कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए। आज का सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज़ादी के इन 75 सालों ने ज्यूडिशरी और एग्जीक्यूटिव दोनों के ही भूमिका और जिम्मेदारियों को निरंतर स्पष्ट किया है। जहां जब भी जरूरी हुआ,देश को दिशा देने के लिए ये संबंध लगातार विकसित हुआ है।
Addressing the Joint Conference of Chief Ministers and Chief Justices of High Courts. https://t.co/P1jsj2N1td
— Narendra Modi (@narendramodi) April 30, 2022
पीएम मोदी ने कहा कि भारत सरकार न्याय व्यवस्था में तकनीकी की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है। उदाहरण के तौर पर, ई-कोर्ट परियोजना को आज मिशन मोड में लागू किया जा रहा है। आज छोटे कस्बों और यहां तक कि गांवों में भी डिजिटल ट्रांसजेक्शन आम बात होने लगी है। हमें कोर्ट में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इससे देश के सामान्य नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे।