नई दिल्ली। कोरोना ने भले ही रूकावट पैदा की हो, लेकिन सरकार अपने लक्ष्य को हासिल करने और जनसेवा के प्रति प्रतिबद्ध है। सांकेतिक रूप से 30 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देशव्यापी पोलियो अभियान की शुरूआत कर दी। उसके बाद पूरे देश में फिर 31 जनवरी को पोलियो रविवार मनाया गया। इसके माध्यम से
पांच वर्ष से कम उम्र के लगभग 89 लाख बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई गई। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से कहा गया कि सात लाख बूथों पर 12 लाख टीकाकरण कार्यकर्ताओं और 1.8 लाख पर्यवेक्षकों की तैनाती के बीच यह अभियान चलाया गया।
राष्ट्रीय प्रतिरक्षण दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम कोसंबोधित करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रीडॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “दस वर्षों तक पोलियो मुक्त दर्जा बनाकर रखना भारत के जन स्वास्थ्य के इतिहास में बहुत बड़ी उपलब्धिहै।“उन्होंनेऐसी बीमारी जिससे टीकाकरण से बचा जा सकता हो उससे किसी बच्चे के प्रभावित न होनेको सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा नियमित टीकाकरण को सुदृढ़ करने के प्रयासोंऔरकार्योंको रेखांकित किया।
बूथों पर टीकाकरण के बाद अगले दो से पांच दिनों तक घर-घर जाकर पहले दिन बूथों पर पोलियो खुराक लेने नहीं आ सके बच्चों की पहचान और उनका टीकाकरण किया जाएगा। बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों, हवाईअड्डोंऔर जल मार्गों पर भी टीकाकरण दलोंको तैनात किया गया है जिससे यात्रा कर रहे बच्चों को पोलियो खुराक देकर यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बच्चा जीवन रक्षक पोलियो खुराक से वंचित न रहे।
कोविड-19 महामारी को देखते हुए सुरक्षित टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए इसके अनुकूल सभी कदम उठाए गए हैं जैसे कि बूथों पर भीड़ जमा न होने देना, दो मीटर की दूरी बनाकर रखना, मास्क पहनना, हाथ धोनाऔर हवादार वातावरण में पोलियो खुराक पिलाना।