भारत के टॉप 6 शहरों में ग्रेड ए कमर्शल स्पेसेज का क्षेत्रफल 700 मिलियन वर्गफीट के पार पहुंचा : क्रेडाई-सीआरई मैट्रिक्स रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार ग्रेड ए ऑफिस स्पेस का क्षेत्र 2030 तक 1 बिलियन वर्गफीट तक पहुंच जाएगा


नई दिल्ली।
क्रेडाई और सीआरई मैट्रिक्स की संयुक्त रूप से हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार, टियर 1 शहरों में प्रीमियम वर्कप्लेस की बढ़ती मांग के बीच, भारत में ग्रेड ए ऑफिस के क्षेत्रफल ने 700 मिलियन वर्गफीट की उल्‍लेखनीय उपलब्धि को पार कर लिया है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि ऑफिस स्पेस का क्षेत्रफल 2030 तक 1 बिलियन वर्गफीट हो जाएगा। इसका श्रेय इंडस्ट्री के मजबूत मूलभूत तत्वों और स्थिर मांग को जाता है। अध्ययन में यह भी पता चला कि पिछले 5 सालों में को-वर्किंग के क्षेत्र में जबर्दस्त विकास हुआ है। को-वर्किंग स्पेस अब 50 मिलियन वर्ग फीट हो गया है और इसने अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। भारत के टॉप 6 शहरों में इस तरह के ऑफिसेस की संख्या करीब 7 फीसदी है।

इय रिपोर्ट में बताया गया है कि इस स्थिर मांग के पीछे कई कारक हैं, जिसमें कम कीमत का लाभ, प्रतिस्पर्धी पारिश्रमिक और प्रतिभाशाली लोग शामिल हैं। इससे 2023 की पहली तिमाही में देश के टॉप छह शहरों में ऑफिस को किराए पर लेने में 92 रुपये प्रति वर्गफीट की दर से 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। यह पिछली 10 तिमाही में दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। इस बढ़ोतरी के बावजूद 2023 में इन क्षेत्रों में 45 मिलियन वर्ग फीट से ज्यादा जगह ऑफिस को लीज पर लेने की मांग सामने आने की संभावना है। संभावना है कि साल की दूसरी छमाही में बेंगलुरू और एमएमआर जैसे शहर इस लहर का नेतृत्व करेंगे। 2023 की पहली तिमाही में इन क्षेत्रों में सप्लाई से ज्यादा मांग देखी गई। इस तिमाही में पूरे भारत से आई ऑफिस स्पेस की मांग में बेंगलुरू और एमएमआर इन दोनों शहरों का योगदान भी 55 फीसदी रहा।

को-वर्किंग के अलावा, आईटी/आईटीईएस, बीएफएसआई इंडस्ट्रीज में विस्तार की ज्यादा मांग देखी गई, जो स्टार्टअप्स और ग्लोबल कैपिसिटी सेंटर्स में हो रही बढ़ोतरी से प्रेरित थी। इसी के कारण, टॉप 6 शहरों में पिछली छह तिमाही में खाली ऑफिस स्पेस सबसे कम, केवल 16.7 फीसदी तक रह गए।

क्रेडाई के प्रेसिडेंट बोमन ईरानी ने कहा, “कमर्शल रियल एस्‍टेट सेक्‍टर में हो रही निरंतर वृद्धि बेहद प्रशंसनीय है। इस वृद्धि का श्रेय कई घटकों को जाता है जिसमें देश के मजबूत आर्थिक फंडामेटल्‍स, नए जमाने के उद्योगों में बढ़ोतरी, और बहुराष्‍ट्रीय कॉर्पोरेशंस का बढ़ता प्रवाह शामिल है। हमने नई-नई तरह की ऑफिस डिजाइनों का विकास, अत्‍याधुनिक इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और आधुनिक तकनीकों का एकीकरण देखा है और यह भी हमारी कमर्शल प्रॉपर्टीज का आकर्षण बढ़ाने में योगदान कर रहे हैं। भारत के ऑफिस स्‍टॉक ने एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है और यह 700 मिलियन स्‍क्‍वैयर फीट (एमएसएफ) के आंकड़े को पार कर गया है। यह उल्‍लेखनीय उपलब्धि हमारे देश के कमर्शल रियल एस्‍टेट बाजार की अपार क्षमता एवं मजबूत वृद्धि को दर्शाती है। इस महत्‍वपूर्ण उपलब्धि के अलावा, मैं इस बात से भी उत्‍साहित हूं कि भारत के को-वर्किंग स्‍पेस ने तेजी से विस्‍तार किया है और यह 50एमएसएफ के प्रभावी आंकड़े पर पहुंच गया है। यह उपलब्धि वर्कप्‍लेस की लगातार विकसित हो रहे स्‍वभाव और लचीले एवं सहयोग कार्य वातावरण की निरंतर बढ़ रही मांग का सबूत है। यह आधुनिक बिजनेस की बदलती जरुरतों एवं प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए हमारे सफल प्रयासों पर भी जोर देता है।”

सीईओ सीआरई मैट्रिक्‍स और इंडेक्‍सटैप अभिषेक किरण गुप्‍ता ने कहा, “700 एमएसएफ की उपलब्धि बेहद उल्‍लेखनीय है क्‍योंकि बीते 5 सालों में इस 700 एमएसएफ का 25 प्रतिशत स्‍टॉक हासिल किया गया है। भारत के मजबूत आर्थिक फंडामेटल्‍स के अलावा, नए जमाने के उद्योगों में बढ़ोतरी और बहुराष्‍ट्रीय कॉर्पोरेशंस के बढ़ते प्रवाह के साथ, हमारे ऑफिस डेवलपर्स बेहद इनोवेटिव एवं ईएसजी को लेकर सजग रहे हैं ताकि इमारतों को वैश्विक मानकों के अनुरूप रखा जा सके। इस तिमाही में फ्‍लैट डिमांड के बावजूद किराये में दर्ज की गई मजबूत वृद्धि इस बात का सबूत है। इस उल्‍लेखनीय उपलब्धि के अलावा, मैं इस बात को लेकर उत्‍साहित हूं कि भारत के को-वर्किंग स्‍पेस ने तेजी से विस्‍तार किया है और यह प्रभावशाली 50एमएसएफ पर पहुंच गया है। यह उपलब्धि वर्कप्‍लेस की लगातार विकसित हो रहे स्‍वभाव और लचीले एवं सहयोग कार्य वातावरण की निरंतर बढ़ रही मांग का सबूत है। यह आधुनिक बिजनेस की बदलती जरुरतों एवं प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए हमारे सफल प्रयासों पर भी जोर देता है।