नई दिल्ली। भारतीय आर्थिक सेवा (2022 और 2023 बैच) के परिवीक्षाधीनों के एक समूह ने आज (16 अप्रैल, 2024) राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।
अधिकारियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि देश के विकास के लिए आर्थिक विकास एक महत्वपूर्ण घटक है। मध्यम और सूक्ष्म आर्थिक संकेतक प्रगति के उपयोगी पैरामीटर माने जाते हैं। इसलिए सरकारी नीतियों और योजनाओं को प्रभावी और उपयोगी बनाने में अर्थशास्त्रियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अब जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है तो, उन्हें आने वाले समय में अपनी क्षमताओं को पूर्णतः विकसित कर उनका उपयोग करने के असंख्य अवसर मिलेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे इन अवसरों का समुचित लाभ उठाकर देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि आर्थिक सेवा के अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे आर्थिक विश्लेषण और विकास कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने के साथ-साथ संसाधन वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने और योजनाओं के मूल्यांकन के लिए उचित सलाह प्रदान करें। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है क्योंकि नीतियों का निर्धारण उनके दिए गए सुझावों पर निर्भर करेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि आंकड़ों के विश्लेषण और साक्ष्य आधारित विकास कार्यक्रमों ने सरकार को लोगों के आर्थिक उत्थान में तीव्रता लाने में मदद की है। उन्होंने कहा कि युवा आईईएस अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे अपनी कार्य कुशलता को नए विचारों, तरीकों और तकनीकों के माध्यम से बढ़ाएं। उन्होंने आगे कहा, उनकी रचनात्मकता इस तेजी से परिवर्तनशील युग में देश के लिए प्रगति के नए द्वार खोलने में मदद करेगी।
राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 2022 और 2023 बैच के आईईएस अधिकारियों में से 60 प्रतिशत से अधिक महिला अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से भारत के समावेशी विकास के संकल्प को पूर्ण करने में मदद मिलेगी। उन्होंने महिला अधिकारियों से महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए काम करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने युवा अधिकारियों से आग्रह किया कि अपने कार्यस्थल पर नीतिगत सुझाव देते समय या निर्णय लेते समय वे, देश के गरीब और पिछड़े वर्गों के हितों को ध्यान में रखें।