राहुल गांधी का सरकार पर बड़ा हमला, मोदी सरकार ने विदेश व रक्षा नीति को बनाया राजनीतिक हथकंडा

संसद का मानसून सत्र चंद दिन बाद शुरू हो रहा है। इसके हंगामेदार होने के आसार हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रक्षा और विदेश नीति को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाएं हैं।

नई दिल्ली। अब तक कोरोना महामारी और महंगाई को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस हमला कर रही थी। बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने विदेश और रक्षा नीति को लेकर भी प्रधानमंत्री से सवाल किए। हाल के दिनों में चीन की चाल और भारत के प्रतिकार पर सवाल उठाए।

सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने विदेश एवं रक्षा नीति को राजनीतिक हथंकडा बनाकर देश को कमजोर कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार हर चीज को राजनीतिक हथकंडे के रूप में इस्तेमाल करती है। यह उचित नहीं है। असल में, राहुल गांधी ने उस खबर का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर वास्तवित नियंत्रण रेखा (एलएसी) को फिर से पार कर लिया है और दोनों पक्षों के बीच झड़प की कम से कम एक घटना हो चुकी है। सेना ने इस खबर को खारिज किया है।

बता दें कि राहुल गांधी ने यह आरोप ट्वीट करके लगाया है। ट्विट में लिखा गया है कि मोदी सरकार ने विदेश व रक्षा नीति को राजनीतिक हथकंडा बनाकर हमारे देश को कमज़ोर कर दिया है। भारत इतना असुरक्षित कभी नहीं रहा।

वहीं, कांग्रेस की ओर से केंद्र सरकार की आलोचना का सिलसिला जारी है। कांग्रेस नेता महंगाई को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं, तो कोविड वैक्सीन की कमी को भी जनता के सामने ला रहे हैं। कांग्रेस की ओर से मांग की है कि लोगों को पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध कराई जाए। इन दिनों की कल्पना तो कभी नहीं की थी कि गाड़ी में तेल भराने के लिए दवाइयों के पैसों में कटौती करनी पड़ेगी; दाल-दूध के पैसों में कटौती करनी पड़ेगी। लेकिन अब मोदी जी हैं, तो ये भी मुमकिन होना ही था।

कांग्रेस की ओर से कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी राष्ट्र हित में राफेल में हुए भ्रष्टाचार को लगातार उठाते रहे हैं। अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि राफेल में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। भ्रष्टाचार के आरोपों की फ्रांस में न्यायिक जांच शुरू हो गई है। बहुत जल्द राफेल की सच्चाई दुनिया के सामने होगी।

उधर, सेना ने बुधवार को कहा कि भारतीय या चीनी पक्ष ने पूर्वी लद्दाख के उन इलाकों पर कब्जा करने की कोई कोशिश नहीं की है, जहां से वे फरवरी में पीछे हटे थे और क्षेत्र में टकराव के शेष मामलों को सुलझाने के लिए दोनों पक्ष वार्ता कर रहे हैं।