नई दिल्ली। गोदरेज एंटरप्राइजेस ग्रुप (जीईजी) ने अक्षय ऊर्जा को अपनाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। इस समूह ने यह साबित कर दिया है कि उसके संचालन का मूल आधार ही सस्टेनिबिलिटी (सततता) है।
क्लाइमेट ग्रुप की वैश्विक कॉर्पोरेट पहल ईपी100 का हिस्सा होने के नाते, जीईजी ने 2030 तक अपनी ऊर्जा उत्पादकता को दोगुना करने और कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता को 60% तक कम करने का संकल्प लिया है।
गोदरेज एंटरप्राइजेस ग्रुप की पर्यावरणीय सततता (एनवायरमेंटल सस्टेनिबिलिटी) प्रमुख, तेजश्री जोशी का कहना है, ‘’आजकल दुनिया भर में पर्यावरण में जो बदलाव हो रहे हैं, वे न सिर्फ हमारे प्राकृतिक संसाधनों के लिए बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ी परेशानी बनते जा रहे हैं। ऐसे समय में यह बहुत जरूरी हो गया है कि हम पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की जगह अब नवीकरणीय यानी दोबारा इस्तेमाल की जा सकने वाली ऊर्जा को अपनाएं और वातावरण में कार्बन का उत्सर्जन घटाकर इसे संतुलित करें।‘’
तेजश्री जोशी कहती हैं, ‘’गोदरेज ग्रुप में हम मानते हैं कि अब हर काम को सोच-समझकर, टिकाऊ तरीके से और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए करना जरूरी है। हम अपने कारखानों और व्यवसायिक गतिविधियों में ऊर्जा की खपत कम करने के लिए लंबे समय तक असर देने वाले उपायों पर पैसा लगा रहे हैं। इसके लिए हम बिजली के इस्तेमाल की निगरानी रियल टाइम में करेंगे, बिजली बचाने वाले यंत्र और मशीनें लगाएंगे और अपनी टीम को इस दिशा में और ज्यादा सक्षम बनाएंगे।
‘’इसके अलावा, कंपनी अपने उत्पादों के डिज़ाइन से लेकर उन्हें बनाने और बाज़ार तक पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया में ऐसी नीतियाँ लागू कर रही है जो पर्यावरण के अनुकूल हों। इसका मतलब है कि हम कच्चा माल भी ऐसे स्रोतों से ले रहे हैं जो प्रकृति को नुकसान न पहुँचाएं, और अपने उत्पादन के हर स्तर पर ऊर्जा की बचत करने वाली योजनाएं अपना रहे हैं।‘’
पिछले कुछ वर्षों में जीईजी ने अपने कामकाज के हर स्तर पर ऊर्जा की बचत करने वाली अच्छी आदतों को अपनाया है। कंपनी यह मानती है कि साफ-सुथरी यानी प्रदूषण रहित ऊर्जा, ऊर्जा बचाने वाले नए तरीके और डिजिटल तकनीकें अपनाकर काम को और भी आसान और बेहतर बनाया जा सकता है। इससे न केवल संसाधनों की बचत होती है, बल्कि यह जिम्मेदारी से उद्योग चलाने की दिशा में भी एक मजबूत कदम होता है।
इस साल की ‘अर्थ डे’ थीम यही कहती है कि अब हमें नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ना चाहिए और कोयला-पेट्रोल जैसे पुराने, प्रदूषण फैलाने वाले ईंधनों से धीरे-धीरे दूर हटना चाहिए। इसी सोच को अपनाते हुए कंपनी भारत में हरित यानी पर्यावरण के अनुकूल निर्माण व्यवस्था को नए तरीके से विकसित कर रही है। कंपनी ऐसा करके ज्यादा ऊर्जा उत्पादन, कम खपत और बड़े स्तर पर सकारात्मक असर लाने की कोशिश कर रही है।
ऊर्जा बदलाव के अपने सफर में जीईजी ने पिछले कुछ वर्षों में कई बड़ी सफलताएं हासिल की हैं। वित्त वर्ष 2011 से अब तक कंपनी ने हर यूनिट उत्पादन में लगने वाली ऊर्जा को 57% तक घटा दिया है। साथ ही, ऊर्जा का उपयोग करने की क्षमता को करीब दोगुना कर लिया है। अब कंपनी अपनी बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को भी नवीकरणीय यानी पुनः उपयोग की जा सकने वाली स्वच्छ ऊर्जा से पूरा कर रही है, जिससे साफ दिखता है कि वह अपने कामकाज को प्रदूषण रहित बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
गोदरेज एंटरप्राइजेस ग्रुप ने लगातार ऐसी तकनीकों में निवेश किया है जो न सिर्फ ऊर्जा बचाती हैं, बल्कि कामकाज को भी बेहतर बनाती हैं। यह सारी प्रक्रिया रियल-टाइम डेटा और एनालिसिस पर आधारित होती है, जिससे हर कदम सोच-समझकर उठाया जाता है। कंपनी का कंस्ट्रक्शन मटेरियल्स वाला कारोबार पूरी तरह नवीकरणीय ऊर्जा से चलता है। इसके साथ ही, वह ऐसे उपाय भी विकसित कर रही है जो ऊर्जा को बचाकर आगे उपयोग में लाए जा सकें और गर्मी की बर्बादी को रोका जा सके। जैसे कि उसका एक खास सिस्टम Godrej ControlAiR™ IFC – यह एक इंटरनेशनल लेवल पर मान्यता प्राप्त समाधान है, जो अतिरिक्त ऊर्जा को इकट्ठा करके रखता है। इससे मशीनें, जैसे कंप्रेसर, कम मेहनत में भी काम कर पाती हैं, जिससे बिजली की खपत घटती है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता।